स्कूलों का विलय शिक्षा पर हमला है, भाजपा गरीबों को बना रही है अनपढ़ – अखिलेश यादव का बड़ा आरोप

Uttar Pradesh Education: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर सरकारी स्कूलों का विलय कर गरीबों और वंचितों को शिक्षा से दूर करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि शिक्षक भर्ती नहीं हो रही, शिक्षामित्रों की अनदेखी हो रही है और स्कूल बंद होने से ड्रॉप आउट दर बढ़ेगी.

By Abhishek Singh | June 20, 2025 6:07 PM

Uttar Pradesh Education: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकारी स्कूलों का एकीकरण (विलय) गरीबों और वंचितों को शिक्षा से दूर करने की साजिश है. उन्होंने कहा कि यह फैसला ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को सबसे अधिक प्रभावित करेगा, जिससे वे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे. उन्होंने शुक्रवार को सपा मुख्यालय में मीडिया से बातचीत के दौरान यह बातें कहीं.

शिक्षा विभाग में खाली हैं लाखों पद, फिर भी नहीं हो रही भर्ती

अखिलेश यादव ने बताया कि शिक्षा विभाग में दो लाख से ज्यादा पद लंबे समय से खाली हैं लेकिन सरकार की ओर से उनकी भर्ती की कोई प्रक्रिया नहीं की जा रही. उन्होंने कहा कि स्कूलों के विलय के बहाने सरकार शिक्षक भर्ती को टाल रही है. शिक्षामित्रों और 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों की आवाज भी अनसुनी की जा रही है, जबकि ये लोग वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं.

स्कूलों के विलय से ड्रॉप आउट दर में होगा इजाफा

अखिलेश ने कहा कि स्कूलों का विलय सीधे तौर पर बच्चों की पढ़ाई पर असर डालेगा. दूर-दराज के इलाकों में बच्चों को स्कूल पहुंचना मुश्किल हो जाएगा, जिससे ड्रॉप आउट रेट में भारी बढ़ोतरी होगी. यह शिक्षा का हक छीनने जैसा है और समाज के कमजोर वर्गों को और पीछे धकेलने की कोशिश है.

सरकारी शिक्षकों पर हो रहा उत्पीड़न

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार में सरकारी शिक्षकों का उत्पीड़न किया जा रहा है. शिक्षकों पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है और बिना आधारभूत ढांचे के डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम लागू कर दिया गया है. न तो इंटरनेट की सुविधा है, न ही मोबाइल उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे शिक्षक मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं. उन्होंने सरकार से शिक्षकों की बात सुनने और उन्हें सम्मान देने की अपील की.

सरकार शिक्षा व्यवस्था को कमजोर कर रही है

अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार की नीतियों का मकसद सरकारी शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करना है, ताकि निजीकरण को बढ़ावा मिल सके. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यही रवैया जारी रहा, तो आने वाले समय में शिक्षा सिर्फ अमीरों के लिए रह जाएगी और गरीब बच्चों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा.