यूपी कैबिनेट की अहम बैठक: 15 प्रस्तावों को हरी झंडी, ई-बस से बदलेगा शहरों का सफर, आउटसोर्स भर्ती प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव
Yogi Cabinet: योगी आदित्यनाथ सरकार की लखनऊ कैबिनेट बैठक में 16 प्रस्तावों पर चर्चा हुई, जिनमें से 15 को मंजूरी मिली और कृषि विभाग के एक प्रस्ताव को रोक दिया गया. इन फैसलों का सीधा असर उत्तर प्रदेश के शहरी परिवहन, रोजगार और प्रशासनिक पारदर्शिता पर पड़ेगा.
Yogi Cabinet: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मंगलवार को राजधानी लखनऊ में हुई कैबिनेट बैठक में कई बड़े फैसले लिए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कुल 16 प्रस्ताव रखे गए, जिनमें से 15 को मंजूरी दी गई, जबकि कृषि विभाग से जुड़े एक प्रस्ताव पर आगे की समीक्षा के लिए रोक लगा दी गई. इन फैसलों का सीधा असर प्रदेश के शहरी परिवहन, रोजगार और प्रशासनिक पारदर्शिता पर पड़ने वाला है.
शहरी परिवहन में बड़ा बदलाव- कानपुर और लखनऊ में ई-बस सेवा
बैठक का सबसे अहम फैसला लखनऊ और कानपुर जैसे बड़े शहरों में ई-बस सेवा शुरू करने से जुड़ा रहा. प्रस्ताव के अनुसार:-
- 10 रूटों पर ई-बसें चलेंगी.
- प्रत्येक बस की लागत लगभग 10 करोड़ रुपये आंकी गई है.
- ये बसें 12 साल के कॉन्ट्रैक्ट के तहत निजी ऑपरेटरों द्वारा चलाई जाएंगी.
- किराया तय करने का अधिकार सरकार के पास रहेगा.
- बसों के चार्जिंग स्टेशन की व्यवस्था भी सरकार की जिम्मेदारी होगी.
- फिलहाल प्रत्येक रूट पर एक बस से शुरुआत की जाएगी.
यह व्यवस्था नेट कॉस्ट बेसिक कॉन्ट्रैक्ट मॉडल पर आधारित होगी. यानी निजी ऑपरेटर बसें चलाएंगे, लेकिन उनकी निगरानी और नियंत्रण सरकार के पास रहेगा.
उत्तर प्रदेश जैसे घनी आबादी वाले राज्य में बढ़ते वाहन और प्रदूषण चिंता का विषय रहे हैं. ऐसे में इलेक्ट्रिक बसों की शुरुआत से शहरों में न केवल स्वच्छ परिवहन मिलेगा बल्कि पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता भी घटेगी. यह कदम केंद्र की ग्रीन मोबिलिटी नीति और प्रदेश सरकार की शहरी विकास योजना के अनुरूप है.
आउटसोर्स भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुरक्षा
बैठक का दूसरा बड़ा फैसला आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा रहा. सरकार ने निर्णय लिया कि अब आउटसोर्स भर्तियाँ अधिक पारदर्शी और सुरक्षित तरीके से होंगी.
नई व्यवस्था की मुख्य बातें:-
- नियुक्तियाँ 3 साल के लिए होंगी, इसके बाद नवीनीकरण संभव होगा.
- वेतन सीधे कर्मचारियों के बैंक खातों में 1 से 5 तारीख के बीच जमा होगा.
- कर्मचारियों को पीएफ, ईएसआई, स्वास्थ्य और जीवन बीमा जैसी सुविधाएं मिलेंगी.
- महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश (मॉनिटरिंग लीव) की सुविधा दी जाएगी.
- भर्ती जेम (Government e-Marketplace) पोर्टल के जरिए टेंडर प्रक्रिया से होगी.
- पारदर्शिता बनाए रखने के लिए भर्ती प्रक्रिया में परीक्षा और इंटरव्यू शामिल होंगे.
किन पदों पर होगी अधिक भर्ती?
सबसे ज्यादा भर्तियां नर्स, फार्मासिस्ट, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी, लिपिक, कंप्यूटर ऑपरेटर, ड्राइवर, प्लंबर, लिफ्ट मैन, कारपेंटर और तकनीकी सहायकों के लिए होंगी। इसके साथ ही डॉक्टर, इंजीनियर और पशु चिकित्सक जैसे पेशेवर पदों पर भी भर्ती की जाएगी.
बजट और रोजगार की तस्वीर
आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए राज्य सरकार का बजट लगातार बढ़ रहा है.
- 2019-20 में इस पर खर्च हुआ: 684 करोड़ रुपये
- 2025-26 में प्रावधान: 1796 करोड़ रुपये
यह दर्शाता है कि सरकार न केवल आउटसोर्स कर्मचारियों की संख्या बढ़ा रही है, बल्कि उनके लिए वित्तीय सुरक्षा और सुविधाओं का दायरा भी मजबूत कर रही है.
नौकरी की सुरक्षा और सीमाएं
बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि मौजूदा आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षित रहेगी.
- एजेंसी का टेंडर खत्म होने तक वे उसी व्यवस्था में काम करेंगे.
- बाद में उन्हें नई एजेंसी या कंपनी के जरिए उसी विभाग में समायोजित किया जाएगा.
हालांकि, संविदा कर्मचारियों को प्रमोशन का लाभ नहीं मिलेगा. लेकिन सरकार समय-समय पर मानदेय और भत्तों में बढ़ोतरी करती रहेगी.
योगी सरकार की यह कैबिनेट बैठक प्रदेश की युवाओं को रोजगार, शहरी जनता को स्वच्छ परिवहन और कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा देने की दिशा में महत्वपूर्ण रही. इन फैसलों से साफ है कि सरकार एक ओर जहां प्रदेश के शहरों को आधुनिक और पर्यावरण- अनुकूल परिवहन व्यवस्था से जोड़ना चाहती है, वहीं दूसरी ओर पारदर्शी भर्ती और सुरक्षित रोजगार देकर प्रशासनिक दक्षता भी बढ़ाने पर जोर दे रही है.
