UP Election 2022: अमित शाह की देखरेख में चुना जाएगा बीजेपी विधायक दल का नेता, बनाए गए केंद्रीय पर्यवेक्षक

बीजेपी के संसदीय बोर्ड ने यूपी में पार्टी के विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री झारखंड रघुवर दास को सह-पर्यक्षेक बनाया है.

By Prabhat Khabar Print Desk | March 14, 2022 7:26 PM

Lucknow : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में प्रचंड जीत के बाद बीजेपी ने सरकार बनाने की कवायद शुरू कर दी है. दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से मिलकर योगी आदित्यानाथ सोमवार को देर शाम राजधानी लखनऊ वापस लौटे थे. इसी के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने यूपी में विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में अमित शाह और सह पर्यवेक्षक के रूप में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की नियुक्ति की है.

यूपी विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. योगी आदित्यनाथ सरकार के गठन के दिशा-निर्देश के लिए दो दिन से दिल्ली में थे. सोमवार को वह लखनऊ वापस लौटे तो विधायक दल के नेता के चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह ने यूपी, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में विधायक दल के नेता के चयन के लिए केंद्रीय व सह-पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी. इससे अचानक राजधानी लखनऊ का राजनीतिक तापमान बढ़ गया है.

यूपी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनाने की कवायद चल रही है. सरकार में मुख्यमंत्री के साथ कितने डिप्टी सीएम होंगे, कितने कैबिनेट मंत्री होंगे, कितने राज्य मंत्री होंगे, इसको लेकर भी चर्चा हो रही है. लेकिन इससे पहले विधायक दल का नेता चुना जाना जरूरी है. इसके बाद ही सरकार में नंबर दो और तीन की कुर्सी तय होगी. मंत्री कौन-कौन बनेगा, इसकी भी तैयारी हो रही है. कई मंत्रियों के चुनाव हारने से नए-पुराने विधायक भी अपनी-अपनी दावेदारी को लेकर बड़ों के चक्कर लगा रहे हैं.

बीजेपी के कार्यकर्ता यह मानकर चल रहे हैं कि जो मंत्री चुनाव हारे हैं, उनको इस बार सरकार में स्थान नहीं मिलना चाहिए. नए लोगों को मौका दिया जाना चाहिए. इन नए लोगों में कई नाम भी सोशल मीडिया पर वायरल हैं. यहां तक कि कितने मंत्री होंगे, इसकी संख्या भी सोशल मीडिया पर तय कर दी गई है. हालांकि बीजेपी नेतृत्व की कार्यशैली के जानकारों का कहना है कि सोशल मीडिया की कयासबाजी कभी भी सही नहीं निकली है.

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