रायबरेलीः फिर विवाद में फंसे स्वामी प्रसाद मौर्य, प्रभु राम पर टिप्पणी से हिन्दू युवा वाहिनी आहत, केस दर्ज

यूपीः सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य एक बार फिर विवाद में फंस गए हैं. हिंदू युवा वाहिनी ने स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ रायबरेली के थाने में तहरीर दर्ज कराई है. मौर्य पर भगवान श्री राम के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया गया है.

By Prabhat Khabar | April 5, 2023 8:31 AM

यूपीः सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य एक बार फिर विवाद में फंस गए हैं. हिंदू युवा वाहिनी ने स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ रायबरेली के थाने में तहरीर दर्ज कराई है. रायबरेली में सोमवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की रैली थी. रैली के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्या ने बसपा की पुराने नारे को दोहराया था. यह नारा कुछ लोगों को पसंद नहीं आई. मामले में स्वामी प्रसाद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए तहरीर दी गई.

स्वामी प्रसाद मौर्य पर मुकदमा

दरअसल स्वामी प्रसाद मौर्य पर भगवान श्री राम के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया गया है. भगवान श्री राम के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर रायबरेली कोतवाली में स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ तहरीर दी गई है. स्वामी प्रसाद मौर्या पर हिंदू युवा वाहिनी रायबरेली के जिला महामंत्री मारुत त्रिपाठी ने पुलिस में तहरीर दी है. मारुत त्रिपाठी ने कहा है कि समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा भगवान राम पर की गई टिप्पणी से सनातनी समाज को आहत किया है और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है. जिससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ सकता है.

रामचरितमानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य दे चुके हैं विवादित बयान

बता दें हाल ही में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया था. जिसके बाद से उनके बयान को लेकर साधू-संतों में काफी रोष व्याप्त. मौर्य ने कहा कि रामचरितमानस में कुछ अमर्यादित टिप्पणी हैं, जिन पर हमें आपत्ति है, जिसके कारण इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है.

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विवादित बयान देने के मामले में हद तो तब हो गई जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने मानस को प्रतिबंधित करने की मांग कर डाली. उन्होंने कहा कि, रामचरितमानस में कुछ जातियों को दर्शाते हुए जिस पर अपमानजनक टिप्पणियां की हैं, हम उसका विरोध करते हैं. इसमें वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं. इसका संज्ञान लेते हुए इसमें जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही प्रतिबंधित कर देना चाहिए. उन्होंने यहां तक कहा कि कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है.

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