उत्तर प्रदेश: विधानसभा चुनाव में महिला सुरक्षा बनेगा प्रमुख मुद्दा?

लखनऊ : उत्तरप्रदेश विधानसभा में संसदीय कार्यमंत्री आजम खान ने कैग के हवाले से छपी उस रिपोर्ट को खारिज किया है, जिसमें यह कहा गया है कि प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में अपराध की घटनाएं बढ़ी नहीं बल्कि घटी हैं. आजम खान ने यह […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 25, 2016 11:43 AM

लखनऊ : उत्तरप्रदेश विधानसभा में संसदीय कार्यमंत्री आजम खान ने कैग के हवाले से छपी उस रिपोर्ट को खारिज किया है, जिसमें यह कहा गया है कि प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में अपराध की घटनाएं बढ़ी नहीं बल्कि घटी हैं. आजम खान ने यह बात तब कही जब प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष हंगामा कर रहा था. आजम खान ने तो भाजपा को बहस से भागने के लिए कायर और बुजदिल तक करार दिया. गौरतलब है कि विधानसभा में 30 अगस्त को प्रदेश की कानून व्यवस्था पर बहस होना है.

कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति चुनाव में बनेगी मुद्दा
उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के मद्देनजर यह मुद्दा ‘हॉट टॉपिक’ बन गया है. बुलंदशहर में मां और बेटी के साथ हुई रेप की घटना ने तो पूरे उत्तरप्रदेश के साथ देश को भी हिलाकर रख दिया. साथ ही दलित अत्याचार की घटनाएं भी अखिलेश सरकार के लिए चुनौती बनी हुई है. ऐसे में यह तय है कि आगामी विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा जोर-शोर से उठेगा.
कैग की रिपोर्ट, यूपी में 61 फीसदी बढ़े महिलाओं के खिलाफ अपराध
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पिछले पांच सालों में प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 61 प्रतिशत वृद्धि हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2012-13 में महिलाओं के खिलाफ 24552 आपराधिक घटनाएं हुईं वहीं वर्ष 2013-14 में यह बढ़कर 31810 हो गयी. वहीं वर्ष 2016 के मार्च से अगस्त महीने तक में ही प्रदेश में बलात्कार की 1012 और महिला उत्पीड़न की 4520 घटनाएं हुईं.
कैग की रिपोर्ट ने विपक्षियों को दिया मुद्दा
कैग की रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि हुई है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ी है. ऐसे में विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा मिल गया है. भाजपा नेता विजय बहादुर ने कहा भी है कि कैग की रिपोर्ट ने हमारे आरोपों की पुष्टि कर दी है. वहीं कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि सपा के शासनकाल में कानून व्यवस्था की स्थिति सबसे खराब है जिसका दुष्परिणाम पार्टी को भुगतना होगा.

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