यूपी में शिक्षकों की कानूनी समस्याओं का जल्द होगा निपटारा, बनेगा ट्रिब्यूनल

लखनऊ : यूपी सरकार जल्द ही राज्य के सरकारी शिक्षकों को तोहफा देने जा रही है. आये दिन अपनी मांगों को लेकर होने वाले हड़तालों पर रोक लगाने और उनकी कानूनी समस्याओं का समाधान करने के लिए सरकार शिक्षक न्यायाधिकरण का गठन करेगी. इसके लिए सरकार जल्द ही कैबिनेट में प्रस्ताव लाने जा रही है.... […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2018 7:50 PM

लखनऊ : यूपी सरकार जल्द ही राज्य के सरकारी शिक्षकों को तोहफा देने जा रही है. आये दिन अपनी मांगों को लेकर होने वाले हड़तालों पर रोक लगाने और उनकी कानूनी समस्याओं का समाधान करने के लिए सरकार शिक्षक न्यायाधिकरण का गठन करेगी. इसके लिए सरकार जल्द ही कैबिनेट में प्रस्ताव लाने जा रही है.

असल में अब प्रदेश में राज्य कर्मचारियों की तरह अब शिक्षकों के विवादों का निपटारा करने के लिए शिक्षा विभाग टीचर्स ट्रिब्यूनल का गठन करने जा रहा है. सूबे की योगी सरकार शिक्षक न्यायाधिकरण के लिए ड्राफ्ट तैयार करा रही है. अगर यह ट्रिब्यूनल राज्य में बन जाता है तो शिक्षकों को अपने मामलों को लेकर कोर्ट के दरवाजे खटखटाने नहीं पड़ेंगे, यानी एक ही जगह पर उसके मामले में आसानी से सुनवाई हो जायेगी.

यह शिक्षक न्यायाधिकरण अर्ध न्यायिक संस्थान के तौर पर काम करेगा. इसके अध्यक्ष हाईकोर्ट के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश होंगे. छह अन्य सदस्यों में न्यायिक क्षेत्र के साथ ही प्रशासनिक क्षेत्र के लोगों को भी सदस्य बनाया जा सकेगा. योगी सरकार की तैयारी ट्रिब्यूनल के गठन की जल्द कैबिनेट से मंजूरी लेने की है.

प्रदेश में अभी तक अधिकारियों और कर्मचारियों के मामले निपटाने के लिए ही राज्य स्तर पर ट्रिब्यूनल है. जबकि सूबे में हजारों की संख्या में उच्च व माध्यमिक शिक्षा में अध्यापकों के होने के बाद अभी तक कोई अलग से ट्रिब्यूनल नहीं है. इसी का नतीजा है कि विभागीय निर्णयों से असहमत होने पर शिक्षक सीधे तौर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाता है.

पहले से ही मुकदमों के बोझ तले दबे होने के बाद भी उच्च न्यायालय को शिक्षा विभाग के मामलों को सुनना पड़ता था. विभाग से लेकर शासन स्तर तक कई बार टीचर्स ट्रिब्यूनल के गठन पर विचार तो किया गया, लेकिन मामला अंजाम तक नहीं पहुंच पाया. अब शिक्षा विभाग ने अलग ट्रिब्यूनल के गठन के लिए पहल की है. बहरहाल प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया गया है.

उप मुख्यमंत्री और शिक्षा विभाग के मंत्री दिनेश शर्मा की ओर से हरी झंडी मिली तो इसको अगली ही कैबिनेट में मंजूरी के लिए प्रस्ताव लाया जायेगा. विभाग के जानकारों की मानें तो उच्च शिक्षा में कुलपति या कार्य परिषद के फैसले के खिलाफ कुलाधिपति के यहां न्याय की गुहार लगायी जा सकती है, लेकिन माध्यमिक शिक्षा विभाग में ऐसा कोई फोरम नहीं है.

इसके ज्यादातर मामले सीधे हाईकोर्ट में जाते हैं। अब दोनों ही विभागों उच्च व माध्यमिक शिक्षा के शिक्षकों के प्रोन्नति, नियुक्ति, वरिष्ठता के साथ ही तमाम अन्य मामलों को विभागीय स्तर पर निपटारा न होने की स्थिति में ट्रिब्यूनल में जाया जा सकेगा और फिर ट्रिब्यूनल के निर्णय से असहमत वादकारी ही हाईकोर्ट का रुख कर सकेंगे.