रेप के आरोपी यूपी के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की राजनीतिक यात्रा की क्या है पूरी कहानी?

लखनऊ : उत्तरप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक कुलदीप सिंह सेंगर इन दिनों चर्चा में हैं. उनके चर्चा में होने की वजहहै, उन पर एकदलित महिला द्वारा लगाया गया बलात्कार का आरोप. विधायक कुलदीप सिंह सेंगर नेसोमवार को खुद पर लगे इन आरोपों के बाद मीडिया से मुस्कुराते हुएदावा किया कि उन पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 10, 2018 12:24 PM

लखनऊ : उत्तरप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक कुलदीप सिंह सेंगर इन दिनों चर्चा में हैं. उनके चर्चा में होने की वजहहै, उन पर एकदलित महिला द्वारा लगाया गया बलात्कार का आरोप. विधायक कुलदीप सिंह सेंगर नेसोमवार को खुद पर लगे इन आरोपों के बाद मीडिया से मुस्कुराते हुएदावा किया कि उन पर आरोप नहीं है. मामलेकी जांच होनी चाहिए, कड़ी जांच होनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाने वालों को निम्न स्तर का आदमी बताया. विधायक ने यह बात मीडिया में पूरी ठसक से कही और उनकाबॉडी लैंग्वेज यह बता रहा था कि वे इन आरोपों से बेपरवाह हैं और इसे देख लेने के मूड में हैं.

हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधायक पर लगे आरोपों पर गंभीर हैं औरयूपी की दो लोकसभा सीटों परहुएउपचुनाव हारने के बाद और दलित सांसदों द्वारा असंतोष जताये जाने के बाद उन्हें खुद के नेतृत्व को न सिर्फ साबित करना है, बल्किराज्य में कानून का राज स्थापित करना है, जिसका उन्होंने वादा किया है. अपराध खत्म करना योगी की प्राथमिकता के सबसे ऊपर रहा है. ऐसे में वे इस मामले को हल्के में नहीं लेरहेहैं. ऊपर से सिर पर लोकसभा चुनाव है.

कुलदीप सिंह सेंगर उन्नाव के बांगरमऊ सीट से विधायक हैं. इस ब्राह्मण बहुल इलाके में वे दबदबे वाले ठाकुर नेता हैं, जिनका इलाके में काफी प्रभाव है और उनके साथ परिवार के कई लोग भी सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हैं. कुलदीप सिंह सेंगर भले आज भाजपा लहर में भगवा पार्टी में हों, लेकिन उनके लिए दलों की दीवार काम नहीं करती और परिस्थितियों के अनुसार, वे अलग-अलग पार्टियों में शामिल होते रहते हैं. पार्टियों की तरह वे माहौल के हिसाब से अपना निर्वाचन क्षेत्र भी बड़ी कुशलता से बदलतेरहेहैं.

फिलहाल चौथी बार विधायक बने 51 वर्षीय सेंगर ने औपचारिक राजनीतिक कैरियर की शुरुआत 2002 में की, जब वे उन्नाव सदर से विधायक चुने गये. इस समय वे बहुजन समाज पार्टी से विधायक चुने गये थे. 2007 के विधानसभा चुनाव से पहले वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गये. इस बार उन्होंने सपा उम्मीदवार के रूप में बांगरमऊ सीट से चुनाव लड़ा और जीत गये. फिर 2012 में वे भागवतनगर विधानसभा सीट से लड़े और फिर जीत गये.

2017 के चुनाव के दौरान वे भाजपा में शामिल हो गये. दरअसल, इस समय भगवा लहर यूपी में चल पड़ी थी और विधानसभा पहुंचने की संभावना भगवा पार्टी में शामिल होने से बढ़ जानी थी. भाजपा ने उनका निर्वाचन क्षेत्र बदल दिया और बांगरमऊ से लड़ीं. भाजपा ने उनकी जगह हृदय नारायण दीक्षित को भागवतनगर से लड़ाया जो अभी यूपी के स्पीकर हैं.

भारत में राजनीति में परिवार को भी स्थापित करने की परंपरा रही है और सेंगर ने भी इसे आगे बढ़ाया. जब वे सपा में थे ताे उनकी पत्नी संगीता जिला पंचायत का चुनाव लड़ीं और जीत कर चेयरपर्सन बनीं. उनके भाई मनोज भी ब्लॉक प्रमुख रहे हैं.

सेंगर की यूपी में रसूख रखने वालों से अच्छी पहचान है. उन्हें यूपी के चर्चित निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का करीबी माना जाता है. सेंगर की एक विशेषता है कि वे मुसलिमों का वोट भी हासिल करते रहे हैं, चाहे वे जिस पार्टी में रहे हों. उन्नाव में 20 से 22 प्रतिशत ब्राह्मण वोटर हैं, उसके बाद मुसलिम वोटर दूसरे नंबर पर हैं और तीसरे नंबर पर ठाकुर वोटर हैं.

कुलदीप सिंह सेंगर अपने इलाके में लोगों की खुल कर मदद करने वाले शख्स माने जाते हैं. लोगों को जरूरत के मुताबिक वे आर्थिक मदद भी करते हैं. वे पेशे से एक किसान हैं, लेकिन कुछ कारोबार भी करते हैं.

पीड़ित लड़की ने धारा 164 के तहत अपना बयान दर्ज कराया था, जिसमें सेंगर का नाम लिया था. पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज बयान में आरोप लगाये थे. इसकी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की गयी है, 12 अप्रैल को सुनवाई होगी, तब सेंगर के भविष्य तय होगा.

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