उत्तरप्रदेश में बजट आज, विधायक निधि बढ़ा सकती है योगी सरकार

हरीश तिवारी ... लखनऊ: देश के सबसे बड़े सूब उत्तरप्रदेश की योगी सरकार अपने दूसरे बजट में या उसके बाद विधायकों को बड़ा तोहफा दे सकती है. योगी सरकार मौजूदा विधायक निधि को बढ़ाकर 4 करोड़ करने का बड़ा फैसला कर सकती है. क्योंकि सत्ता पक्ष और विपक्षी विधायक लगातार इसकी मांग कर रहे हैं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 16, 2018 11:12 AM

हरीश तिवारी

लखनऊ: देश के सबसे बड़े सूब उत्तरप्रदेश की योगी सरकार अपने दूसरे बजट में या उसके बाद विधायकों को बड़ा तोहफा दे सकती है. योगी सरकार मौजूदा विधायक निधि को बढ़ाकर 4 करोड़ करने का बड़ा फैसला कर सकती है. क्योंकि सत्ता पक्ष और विपक्षी विधायक लगातार इसकी मांग कर रहे हैं कि विधायक निधि को बढ़ाया जाए. अभी तक प्रदेश में विधायक निधि 1.25 करोड़ रुपये सालाना है.

प्रदेश में विधायकों को अपने क्षेत्र के विकास करने के लिए 1.25 करोड़ रुपये की सालाना विधायक निधि मिलती है. जबकि अन्य प्रदेश में यह विधायक निधि काफी ज्यादा है. उत्तरप्रदेश के बगल के प्रदेश उत्तराखंड में विधायकों की विधायक निधि 4 करोड़ रुपये सालना है. जबकि आबादी से हिसाब से देखें तो उत्तराखंड में एक विधानसभा क्षेत्र में औसत 80 लाख की जनखंख्या है जबकि उत्तर प्रदेश में एक विधानसभा क्षेत्र में 3.50 लाख से ज्यादा आबादी है.

लिहाजा विधायक चाहते हैं सरकार विधायक निधि को बढ़ाए. विधायकों का कहना है कि जब उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में विधायक निधि 4 करोड़ रुपये है तो प्रदेश में उससे ज्यादा होनी चाहिए या फिर उसके बराबर होनी चाहिए. विधायकों का कहना है कि क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से प्रदेश में विधायक निधि काफी कम है. विधायक निधि के जरिए विधायक क्षेत्र में सड़क निर्माण करने, हैंडपंप लगाने समेत कई विकास कार्य करते हैं. हाल में मेरठ शहर के विधायक रफीक अंसारी ने ने इस मामले को उठाया था. उनके साथ ही सत्ता पक्ष के विधायक भी विधायक निधि को बढ़ाने के पक्ष में है ताकि वह अपने क्षेत्र का विकास ज्यादा से ज्यादा कर सके. उत्तर प्रदेश दो अन्य पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधायक निधि 2 करोड़ रुपये सालाना है.

क्या है विधायक निधि?

सरकार ने अपनी विधानसभा क्षेत्रों में विकास के लिए विधायकों को बजट आवंटित कर रखा है. इसे विधायक निधि कहते हैं. इस राशि से अपने क्षेत्र में विकास कराने के लिए विधायक स्वतंत्र होते हैं, इसके अलावा उन्हें और अधिक बजट की जरूरत होती है तो वित्त मंत्रालय और मुख्यमंत्री की स्वीकृति चाहिए होती है.