Tuberculosis News: नई दवाओं से मिलेगी एमडीआर टीबी से निजात, 10 दवाओं पर चल रहा शोध: डॉ. दिगंबर बेहरा

टीबी केवल एक बीमारी ही नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक समस्या के रूप में भी है. जो महिलाएं टीबी ग्रसित हो जाती हैं उनका तलाक तक हो जाता है. टीबी ग्रसित छोटे बच्चे खेलकूद से वंचित रह जाते हैं और अगर घर के युवा को टीबी हो जाती है तो कमाई का जरिया बंद हो जाता है.

By Amit Yadav | May 28, 2022 8:18 PM

TB Mukt Bharat: राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के नेशनल टास्क फ़ोर्स के राष्ट्रीय सलाहकार पद्मश्री डॉ. दिगंबर बेहरा (Dr. Digambar Behera) ने कहा कि दुनिया में मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (MDR) टीबी से निजात दिलाने के लिए 10 नई दवाओं पर शोध चल रहा है. इन दवाओं के आ जाने से MDR टीबी मरीजों का इलाज और आसान हो जाएगा.

डॉ. दिगंबर बेहरा किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग, यूपी चैप्टर ऑफ इंडियन चेस्ट सोसायटी व आईएमए-एएमएस के संयुक्त तत्वावधान में ड्रग रजिस्टेंट (DR) टीबी पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने भारत में डीआर टीबी की वर्तमान स्थिति और भविष्य की चुनौतियों व तैयारियों पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में कहा कि देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए चलाया जा रहा राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम दुनिया के बड़े और प्रमुख कार्यक्रमों में अपनी जगह बना चुका है.

देश में टीबी के कुल मरीजों में 25 प्रतिशत यूपी के: डॉ. पुरी

केजीएमयू के कुलपति डॉ. विपिन पुरी ने कहा कि देश में टीबी के कुल मरीजों में से 25 प्रतिशत उत्तर प्रदेश के हैं, जो चिंताजनक है. इसलिए हमें पूरी मुस्तैदी के साथ यूपी से टीबी को ख़त्म करना होगा. तभी देश से टीबी का खात्मा हो सकेगा. उत्तर भारत के नौ राज्यों में क्षय उन्मूलन के लिए केजीएमयू नेतृत्व देने को तैयार है. केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग में डीआर टीबी मरीजों के बेहतर उपचार के लिए 20 बेड की व्यवस्था है, जो कि प्रदेश का सबसे बड़ा डीआर टीबी सेंटर है. डीआर टीबी मरीजों रेस्परेटरी मेडिसिन के साथ ही माइक्रोबायोलाजी और बाल रोग विभाग पूरी तरह से तैयार है.

टीबी मरीजों को गोद लेने की परंपरा सराहनीय

नेशनल टीबी टास्क फ़ोर्स के चेयरमैन डॉ. एके भारद्वाज ने कहा कि यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की टीबी मरीजों को गोद लेने और उन्हें पोषक आहार प्रदान कराने के साथ ही भावनात्मक सहयोग प्रदान करने की पहल को सराहा. उन्होंने कहा कि इस पहल से टीबी मरीजों को कम समय में बीमारी से छुटकारा पाने में मदद मिल रही है. इसके तहत वयस्कों को 1100 रुपये की पोषण पोटली और बच्चों को 750 रुपये की पोषण पोटली दी जा रही है. इसके अलावा मरीजों को इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह 500 रुपये सीधे बैंक खाते में दिए जाते हैं.

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टीबी बीमारी नहीं आर्थिक, सामाजिक समस्या: डॉ. सूर्यकांत

नेशनल टीबी टास्क फ़ोर्स-नार्थ जोन के प्रमुख और रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के हेड डॉ. सूर्यकांत ने कहा कि टीबी केवल एक बीमारी ही नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक समस्या के रूप में भी है. जो महिलाएं टीबी ग्रसित हो जाती हैं उनका तलाक तक हो जाता है. टीबी ग्रसित छोटे बच्चे खेलकूद से वंचित रह जाते हैं और अगर घर के युवा को टीबी हो जाती है तो कमाई का जरिया बंद हो जाता है. इसलिए दो हफ्ते से अधिक खांसी-बुखार आने, वजन कम होने के लक्षण नजर आयें तो तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर मुफ्त जांच और इलाज कराना चाहिए.

दिग्गज चिकित्सक हुये नेशनल कांफ्रेंस में शामिल

कार्यशाला को डॉ. राजेंद्र प्रसाद, एसजीपीजीआई की डॉ. ऋचा मिश्रा, मुम्बई थाणे से डॉ. अल्पा दलाल, एनआईआरटी चेन्नई से डॉ. बालाजी, डब्ल्यूएचओ कंसल्टेंट डॉ. सृष्टि दीक्षित, दिल्ली से डॉ. संगीता शर्मा ने संबोधित किया. इस मौके पर बच्चों में ड्रग रजिस्टेंट टीबी पर पैनल डिस्कशन में केजीएमयू के बाल रोग विभाग की हेड डॉ. शैली अवस्थी, डॉ. संगीता शर्मा, डॉ. सारिका गुप्ता, डॉ. सुरुचि शुक्ला और डॉ. अंकित कुमार ने भाग लिया.

कार्यशाला में नार्थ जोन के नौ राज्यों के मेडिकल कालेजों के डॉक्टर और जिला क्षय रोग अधिकारी समेत करीब 300 चिकित्सक ऑनलाइन और 150 लोग फिजिकली जुड़े. इसके अलावा राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. संतोष गुप्ता, उप राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. ऋषि सक्सेना, रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के डॉ. आरएएस कुशवाहा, डॉ. राजीव गर्ग, डॉ. संतोष कुमार भी मौजूद थे.

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