Gorakhpur News: एड्स रोगियों के लिए जानलेवा बनी TB, 10 प्रतिशत मरीजों में हो रही पुष्टि, जांच अनिवार्य

एड्स रोगियों में टीबी चिन्ता का विषय बनी हुई है. इस साल 700 रोगी जिले में एड्स बीमारी की भर्ती हुए हैं, इनमें 70 रोगियों में टीबी का संक्रमण मिला है. एड्स पीड़ितों में से 10 प्रतिशत रोगियों में टीबी की पुष्टि हो रही है और ये उनकी मौत की वजह बन रही है. एड्स और टीबी मिलकर मरीज पर घातक असर डाल रहे हैं.

By Prabhat Khabar | December 1, 2022 11:44 AM

Gorakhpur News: दुनियाभर में ऐसी कई चुनिंदा बीमारियां हैं, जो लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं और इससे पीछा छुड़ा पाना बेहद मुश्किल होता है. एड्स इन्हीं में से एक है. हालांकि अब बेहतर इलाज और जागरूकता के कारण इससे होने वाली मौतों में कमी आयी है. लेकिन, फिर भी एड्स जानलेवा बना हुआ है.

2007 से अब तक 19,742 रोगियों का पंजीकरण

गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अक्टूबर 2007 से लेकर अब तक 19,742 एड्स रोगियों का पंजीकरण हुआ है. इनमें जीवित रोगियों की संख्या 5,233 है, जिसमें गोरखपुर जिले के 4,504 रोगी और अन्य जिलों से 729 रोगी शामिल है. इन सबके बीच एड्स रोगियों के लिए टीबी की बीमारी जानलेवा साबित हो रही है.

700 रोगियों में 70 में मिला टीबी संक्रमण

एड्स रोगियों में टीबी चिन्ता का विषय बनी हुई है. इस साल 700 रोगी जिले में एड्स बीमारी की भर्ती हुए हैं, इनमें 70 रोगियों में टीबी का संक्रमण मिला है. एड्स पीड़ितों में से 10 प्रतिशत रोगियों में टीबी की पुष्टि हो रही है और ये उनकी मौत की वजह बन रही है. एड्स और टीबी मिलकर मरीज पर घातक असर डाल रहे हैं.

एड्स संग टीबी के इलाज में बरती जा रही सावधानी

एड्स रोगियों में टीबी संक्रमण को देखते हुए सरकार ने उनकी टीबी की जांच अनिवार्य कर दी है. विशेषज्ञों की मानें तो इस बीमारी का अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं है इसलिए बचाव ही इसका इलाज है. इस रोग के प्रति जागरूक करने के लिए हर वर्ष एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है.

एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. गणेश प्रसाद यादव का कहना है कि समाज में एड्स के प्रति भय और भ्रांति को दूर कर एड्स रोगियों के साथ समानता का व्यवहार करने की जरूरत है. जिले में एड्स रोगियों को बेहतर इलाज की सुविधा प्रदान की जा रही है. एड्स रोगियों में टीबी चिन्ता का विषय है, ऐसे मरीजों के इलाज में पूरी सावधानी बरती जाती है, जिससे उनका जीवन बचाया जा सके.

जागरूकता से ही नियंत्रण संभव

डॉ. गणेश प्रसाद ने बताया कि एड्स रोगियों से हाथ मिलाने, छूने उनके साथ भोजन करने से यह नहीं फैलता है. इसे फैलने का मुख्य कारण असुरक्षित यौन संबंध है और जागरूकता से ही इस बीमारी को नियंत्रण किया जा सकता है.

जिले में हुआ कार्यक्रमों का आयोजन

एड्स जागरूकता के लिए हर वर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है. गुरुवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के संयुक्त तत्वाधान में विश्व एड्स दिवस मनाया गया. इसमें लोगों को जागरूक करने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाने के साथ ही रैली भी निकाली जा रही है. यह रैली विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार से शुरू होकर जिलाधिकारी आवास, पुराना आरटीओ विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केंद्र होती हुई विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर समाप्त हुई.

एड्स बीमारी के लक्षण

  • लंबे समय तक बुखार या पतला दस्त होना

  • छह रोग, निमोनिया

  • वजन कम होना

  • चर्म रोग संक्रमण

  • नाखून व मुंह में संक्रमण

  • बार-बार श्वास में संक्रमण

एड्स बीमारी के कारण-

  • एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध

  • संक्रमित रक्त चढ़ने से

  • संक्रमित इंजेक्शन से नशे की दवा लेने से

  • संक्रमित व्यक्ति के ब्लेड, उस्तरा आदि प्रयोग करने से

  • गोदना या टैटू से

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एड्स बीमारी से बचाव

  • जीवनसाथी के प्रति वफादार

  • कंडोम का प्रयोग

  • लक्षण दिखने पर समय से जांच

  • नियमित रक्तदान

  • सिरिंज के इस्तेमाल के बाद अपने सामने ही नष्ट कर आएं

  • प्रत्येक गर्भवती महिला की एचआईवी जांच

  • एचआईवी संक्रमित गर्भवती का चिकित्सक की देखरेख में प्रसव.

  • सरकारी या पंजीकृत रक्तकोष से ही रक्त लें.

रिपोर्ट– कुमार प्रदीप गोरखपुर

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