Cyber Crime: बेटे ने ऑनलाइन गेम में उड़ा दिए लाखों रुपए, पिता को पता चला तो उड़े होश, इस कंपनी के नाम FIR

आगरा में ऑनलाइन गेम खेलते समय एक सेवानिवृत्त फौजी के मोबाइल से उस 39 लाख रुपए कट गए, पूर्व फौजी को जब इस बात जानकारी लगी तो उन्होंने साइबर सेल में इसकी शिकायत दर्ज कराई. जिसके बाद पुलिस ने गेम प्रोवाइडर कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है.

By Prabhat Khabar | June 22, 2022 1:55 PM

Agra News: आगरा के एक सेवानिवृत्त फौजी के मोबाइल से उस वक्त 39 लाख रुपये कट गए, जब उनका बेटा मोबाइल पर गेम खेल रहा था. पूर्व फौजी को जब इस बात जानकारी लगी तो उसके होश उड़ गए. फौजी ने पैसे कटने की शिकायत तत्काल साइबर सेल में की. जिसके बाद पुलिस ने गेम प्रोवाइडर कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है.

दरअसल, थाना खंदौली क्षेत्र के रहने वाले सेवानिवृत्त फौजी ने अपने बेटे को मोबाइल खेलने के लिए दिया था. बेटे ने मोबाइल पर गेम खेलते समय 39 लाख रुपए का पेमेंट गेम प्रोवाइडर कंपनी के नाम कर दिया. सेवानिवृत्त फौजी को जब यह जानकारी मिली तो, उन्होंने इसकी शिकायत साइबर थाने में की. साइबर थाना पुलिस ने फौजी से जब पैसे कटने की जानकारी मांगी तो उन्होंने बताया कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि उनका पैसा कैसे कटा.

पीड़ित व्यक्ति ने बताया कि, उनके पास सिर्फ मैसेज आया है, जबकि न तो उन्होंने किसी को कोई ओटीपी दिया और न ही किसी को अकाउंट के बारे में कोई जानकारी दी है. साइबर सेल ने इस पूरे मामले में जांच पड़ताल की तो पता चला कि यह रकम पेटीएम से भेजी गई थी. उसके बाद पेटीएम से कोडा पेमेंट में गई और अंत में सिंगापुर की बैंक के खाते में चली गई. यह खाता क्रोफ्टन कंपनी के नाम से है. यह कंपनी बैटल ग्राउंड्स मोबाइल इंडिया के नाम से ऑनलाइन गेम खिलाती है.

पुलिस ने बताया कि गेम में हथियार और अन्य सुविधाएं भुगतान करके ली जा सकती हैं. सेवानिवृत्त फौजी का बेटा गेम खेलता था. इस लत की वजह से उसने गेम में भुगतान कर दिया. ऑटो मोड पर भुगतान करने की वजह से रकम कटती चली गई. इसका पता काफी समय बाद चला तब तक फौजी के खाते से 39 लाख रुपए कट चुके थे.

साइबर थाने के प्रभारी निरीक्षक आकाश सिंह ने बताया कि, सेवानिवृत्त फौजी की तहरीर पर क्राफ्टन कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी और आईटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया है. विवेचना की जा रही है. साथ ही सबूतों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.

रिपोर्ट- राघवेंद्र गहलोत

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