हावड़ा और कोलकाता देश के सबसे प्रदूषित शहर, मिथेन गैस से कई बार लग जाती है आग

देश की राजधानी दिल्ली नहीं, पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से सटा हावड़ा देश का सबसे प्रदूषित शहर है. हावड़ा का एयर क्वालिटी इंडेक्स दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में शामिल अन्य शहरों से ज्यादा खराब है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने बुधवार को एक रिपोर्ट जारी कर यह जानकारी दी.

By Prabhat Khabar Print Desk | November 19, 2020 6:18 PM

कोलकाता: देश की राजधानी दिल्ली नहीं, पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से सटा हावड़ा देश का सबसे प्रदूषित शहर है. हावड़ा का एयर क्वालिटी इंडेक्स दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में शामिल अन्य शहरों से ज्यादा खराब है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने बुधवार को एक रिपोर्ट जारी कर यह जानकारी दी.

रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली-एनसीआर में पिछले कुछ दिनों में हुई बारिश एवं हवाओं के चलते वहां एक्यूआइ में सुधार आया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि हावड़ा के बाद एयर क्वालिटी इंडेक्स के आधार पर राजस्थान का भिवंडी शहर दूसरा सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर रहा, जबकि कोलकाता तीसरे स्थान पर.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा है कि डेली एक्यूआइ बुलेटिन के मुताबिक, हावड़ा में बुधवार की शाम 4 बजे 24 घंटे का औसत एक्यूआइ 285 था. भिवंडी में 24 घंटे का औसत एक्यूआइ 267 रहा, तो कोलकाता में 266. इन तीन शहरों की तुलना में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का एक्यूआइ 211 ही था.

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रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से जब देश भर में लॉकडाउन लगाया गया था, उस वक्त 1 मई, 2020 को कोलकाता और हावड़ा का औसत एक्यूआइ 50 से कम दर्ज किया गया था. इसे बेहतरीन हवा माना जाता है. एक्यूआइ स्केल की बात करें, तो 50 तक के वायु को स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जाता है.

यदि एक्यूआइ 51 से 100 के बीच रहता है, तो इसे संतोषप्रद कहा जाता है, जबकि 101-200 को सामान्य माना जाता है. इससे अधिक यानी 201-300 को खराब और 301-400 को बहुत खराब माना गया है. एक्यूआइ यदि 400 से अधिक हो जाये, तो यह गंभीर खतरा उत्पन्न कर देता है. खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें सांस की तकलीफ होती है.

इधर, पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डब्ल्यूपीसीबी) के आंकड़ों पर गौर करें, तो हावड़ा के घुसुड़ी में बुधवार की सुबह 6 बजे पीएम10 का स्तर 852 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब तक पहुंच गया था, जबकि सुबह 10 बजे इसका स्तर 915 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब हो गया था. पीएम10 का स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब से अधिक नहीं होना चाहिए.

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यहां बताना प्रासंगिक होगा कि पीएम10 एक प्रदूषक तत्व है, जो इनसान के सिर के बाल से 7 गुणा पतला होता है. सांस के जरिये यह फेफड़ों तक पहुंचता है और लोगों को बीमार बना देता है. जिन लोगों को सांस या दिल की बीमारी होती है, वैसे लोगों के लिए यह प्रदूषक तत्व बेहद घातक साबित हो सकता है.

हावड़ा का घुसुड़ी इलाका औद्योगिक क्षेत्र है. यहां घनी आबादी है और ट्रैफिक का बोझ भी बहुत ज्यादा है. डब्ल्यूबीपीसीबी के अधिकारियों ने कहा है कि उन्होंने स्थानीय पुलिस और प्रशासन से आग्रह किया है कि वे सड़कों पर पानी का छिड़काव करें, ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके. कोलकाता में पीएम10 का स्तर हर जगह सुरक्षित मानक से दो गुणा से अधिक पाया गया.

चमरे की फैक्ट्रियों को बंद करवाया गया

पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने कहा है कि प्रदूषण को नियंत्रित रखने की कोशिशें की जा रही हैं. कोलकाता के हॉटस्पॉट्स की निगरानी की जा रही है. उन सभी जगहों पर फायर ब्रिगेड के दमकल वाहनों को तैनात कर दिया गया है, जहां अक्सर मिथेन गैस की वजह से आग लग जाती है. अधिकारी ने कहा कि पूर्वी कोलकाता में सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले लेदर यूनिट्स को बंद करवा दिया गया है.

Posted By : Mithilesh Jha

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