Rourkela News: ‘पखाल हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा, गर्मी से देता है राहत’
Rourkela News: स्मार्ट सिटी राउरकेला समेत पूरे ओडिशा में गुरुवार को विश्व पखाल दिवस मनाया गया. इस अवसर पर संगोष्ठी, सेमिनार सहित कई कार्यक्रम आयोजित हुए.
Rourkela News: बंडामुंडा के डीजल कॉलोनी स्थित जगन्नाथ मंदिर परिसर में महिला सदस्यों की ओर से विश्व पखाल दिवस मनाया गया. मौके पर मौजूद 100 से अधिक लोगों ने बैठकर पखाल-भात का आनंद लिया. जगन्नाथ मंदिर की महिला सदस्य तृप्तिमई स्वांई ने बताया कि पखाल हमारी संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है. ओड़िया समुदाय के खाद्य पदार्थों में इसका विशेष महत्व है. यूं तो पखाल सालभर खाया जाता है, लेकिन गर्मी के मौसम में इसकी उपयोगिता और अधिक बढ़ जाती है.
गांव की रसोई से निकल कर बड़े-बड़े रेस्टोरेंट व होटलों तक पहुंचा
अतिथियों ने कहा कि पखाल गर्मी को मात देने में सक्षम है. कांसा के बर्तन में खाया जाने वाला यह व्यंजन गांव की रसोई से निकलकर बड़े-बड़े रेस्टोरेंट और होटलों तक पहुंच गया है. इसके साथ आलू का चोखा, बैंगन का भरता, टमाटर की चटनी, बड़ी चूरा, साग समेत कई प्रकार की सब्जियां, केला के चिप्स के साथ अचार और चटनी का सेवन किया जाता है. इसके साथ कुम्हड़ा के फूल की पकौड़ी लोग खूब चाव से खाते हैं. हर साल 20 मार्च को पखाल दिवस मनाया जाता है. मौके पर जगन्नाथ मंदिर पूजा कमेटी की पुष्पा मोहंती, सौदामिनी राउत, मालती कालिंदी, विनोदिनी पाणिग्राही, मीरा कुमारी, अलका प्रधान, के शौभाग्य, रानी साहू समेत पुजारी पीतवास शतपथी, राजा त्रिपाठी, चिन्ना, भागी राउत व अन्य मौजूद थे.
लाठीकाटा : लोगों ने पखाल का लिया आनंद
विश्व पखाल दिवस के अवसर पर गुरुवार को लाठीकटा व आसपास के क्षेत्र में लोगों ने पखाल का आनंद लिया. माना जाता है कि इसे खाने से गर्मी में शरीर को ठंडक मिलती है. इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती व लोग स्वस्थ रहते हैं. इसके साथ विभिन्न प्रकार की सब्जियां व साग खाने का रिवाज है. 20 मार्च को विश्व पखाल दिवस के अवसर पर विशेष रूप से लोगों ने पखाल-भात का आनंद लिया.
राउरकेला. बासंती पाठागार में पखाल पर संगोष्ठि आयोजित
बासंती कॉलोनी स्थित बासंती पाठागार में गुरुवार को महासचिव अजय कुमार प्रधान की अगुवाई में विश्व पखाल दिवस उत्साह के साथ मनाया गया. इस अवसर पर पखाल के लाभों तथा दैनिक जीवन में समाज के सभी वर्गों द्वारा इसकी आवश्यकता को स्वीकार करने पर एक संगोष्ठी आयोजित की गयी. इस चर्चा में अध्यक्ष डॉ शक्ति प्रसाद सामंतराय, सुभाष चंद्र महापात्र, विक्रम चंद्र आचार्य और किशोरी मोहन कर आदि ने भाग लिया. वहीं, गुरुवार होने के कारण पखाल के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के शाकाहारी व्यंजन भी तैयार किये गये. इस अवसर पर पुस्तकालय के कर्मचारी एवं सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे. सबने पखाल का लुत्फ उठाया. कार्यक्रम में प्रकाश चंद्र पाढ़ी, विभुदत्त बेहेरा, बसंत महाराणा, शरत चंद्र राउत, राधामोहन नायक, सुमंत पति, गगनानंद प्रधान, नारायण खंडेलवाल, नारायण नायक, श्रीधर मल्लिक, कविता दाश, कविता प्रधान, सुभाषिनी साहू, स्वर्णलता घड़ेई, निरुपमा चंद, कमल आचार्य, संजुक्ता दाश आदि सदस्यों ने सक्रिय योगदान दिया.
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