Rourkela News: जलवायु-लचीली जल प्रणालियों पर अत्याधुनिक अनुसंधान, चुनौतियां और समाधान होगी चर्चा

Rourkela News: एनआइटी में हाइड्रो इंटरनेशनल सम्मेलन शुरू हुआ है. इसमें देश-विदेश से 500 विशेषज्ञ व प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं.

By BIPIN KUMAR YADAV | December 18, 2025 11:20 PM

Rourkela News: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी), राउरकेला में ‘हाइड्रो इंटरनेशनल 2025’ का गुरुवार को उद्घाटन किया गया. इंडियन सोसाइटी फॉर हाइड्रोलिक्स (आइएसएच) के तत्वावधान में आयोजित इस तीन दिवसीय 30वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हाइड्रोलिक्स, जल संसाधन, नदी और तटीय इंजीनियरिंग से जुड़े 500 से अधिक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं. यह मेगा इवेंट वैश्विक शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों, उद्योग पेशेवरों और नीति निर्माताओं को एक मंच प्रदान कर रहा है, जहां हाइड्रोलिक्स, हाइड्रोलॉजी, जल संसाधन प्रबंधन, नदी इंजीनियरिंग, तटीय इंजीनियरिंग तथा जलवायु-लचीली जल प्रणालियों पर अत्याधुनिक अनुसंधान, चुनौतियां और समाधान चर्चा के केंद्र में हैं.

जल प्रबंधन में मौलिक बदलाव पर जोर दिया

उद्घाटन सत्र में प्रो विनोद तारे (गंगा नदी बेसिन प्रबंधन और अध्ययन केंद्र (प्रोजेक्ट सी-गंगा) के संस्थापक प्रमुख और सलाहकार), अनु गर्ग (ओडिशा सरकार की विकास आयुक्त-सह-अतिरिक्त मुख्य सचिव, जल संसाधन) विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. मंच पर प्रो एके तुरुक (एनआइटी राउरकेला के डीन एकेडमिक्स), प्रो एसपी सिंह (सिविल इंजीनियरिंग विभागाध्यक्ष), प्रो पीएल पटेल (आइएसएच अध्यक्ष), प्रो किशनजीत कुमार खटुआ (सम्मेलन चेयरमैन) और प्रो सनत नलिनी साहू (आयोजन सचिव) मौजूद थे. प्रो विनोद तारे ने अपने संबोधन में जल प्रबंधन में मौलिक बदलाव पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि पारंपरिक प्रथाओं को बनाये रखते हुए नये तरीकों से जल संरक्षण सुनिश्चित करना जरूरी है. भूमि उपयोग परिवर्तन से उत्पन्न तेज बहाव जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए प्रवाह को धीमा करना, रैखिक जल प्रवाह को गोलाकार प्रणालियों में बदलना तथा नदियों को जीवित प्रयोगशालाओं के रूप में देखना चाहिए. समर्थ गंगा जैसी परियोजनाएं पर्यावरणीय व आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकती हैं. नदियां साफ रहेंगी, यदि सहायक धाराओं को प्रदूषण मुक्त रखा जाये. प्राचीन ज्ञान को आधुनिक तकनीक से जोड़कर पानी के पुन: उपयोग बढ़ाना और नदी प्रबंधन की आर्थिक क्षमता का दोहन भारत को वैश्विक नेता बना सकता है.

ओडिशा के 2036-2047 दृष्टिकोण में समान जल पहुंच पर फोकस : अनु गर्ग

आइएएस अनु आयुक्त गर्ग ने जल सुरक्षा को प्रमुख चुनौती बताते हुए ओडिशा के 2036-2047 दृष्टिकोण का जिक्र किया, जिसमें समान जल पहुंच, लचीलापन व प्रौद्योगिकी उपयोग पर फोकस है. राज्य बाढ़ पूर्वानुमान केंद्र, तटीय क्षरण हस्तक्षेप, नदी कायाकल्प, पानी पंचायत, माइक्रो-इरिगेशन तथा ‘बारिश को पकड़ो-जहां गिरे, जब गिरे’ जैसे प्रयास कर रहा है. एनआईटी जैसे संस्थानों से सहयोग बढ़ाकर ओडिशा जल सुरक्षित बनेगा.

तकनीकी सत्र, की-नोट लेक्चर, पैनल चर्चा व पेपर प्रेजेंटेशन होंगे

प्रो किशनजीत कुमार खटुआ ने बताया कि सम्मेलन तीन दशकों के योगदान को चिह्नित करता है. 450 से अधिक प्रतिभागी व 100 से अधिक विशेषज्ञों के साथ तकनीकी सत्र, की-नोट लेक्चर, पैनल चर्चा व पेपर प्रेजेंटेशन होंगे. नॉर्थ अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया व चीन से 62 तथा भारत के 62 विशेषज्ञ शामिल हैं. प्रमुख विदेशी संस्थान पर्ड्यू यूनिवर्सिटी (यूएसए), फ्रेंच नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एग्रीकल्चर, फ्लोरिडा अटलांटिक यूनिवर्सिटी (यूएसए), शियान जियाओतोंग-लिवरपूल यूनिवर्सिटी (चीन), भारतीय संस्थानों में आइआइटी मद्रास, दिल्ली, खड़गपुर, रुड़की, गुवाहाटी, कानपुर, बॉम्बे, गांधीनगर, धारवाड़, जम्मू, एनआइटी कुरुक्षेत्र, पटना आदि इसमें भागीदारी कर रहे हैं. उद्योग प्रदर्शनी में एफकोन्स इंफ्रास्ट्रक्चर, डायनासोर कंक्रीट, फ्लो-3डी हाइड्रो जैसी कंपनियां नवीन तकनीकें प्रदर्शित करेंगी, जो सहयोग बढ़ायेंगी.

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