Rourkela News: दो दशक पहले मिली मंजूरी, 1928.7 करोड़ हुए स्वीकृत, तालचेर-बिमलगढ़ रेलवे परियाेजना फिर भी अधर में
Rourkela News: तालचेर-बिमलगढ़ रेलवे परियोजना को मंजूरी 2004-05 वित्तीय वर्ष में मिली थी. दो दशक बाद भी इसका काम पूरा नहीं हो सका है.
Rourkela News: तालचेर-बिमलगढ़ रेलवे परियोजना की मांग लगभग 60 साल पहले राउरकेला में देश का पहला सार्वजनिक उद्यम राउरकेला स्टील प्लांट स्थापित होने के बाद से ही उठती रही है. अगर यह परियोजना क्रियान्वित होती है, तो पश्चिमी ओडिशा के लोग कम समय में भुवनेश्वर आना-जाना कर सकेंगे. राउरकेला-भुवनेश्वर के बीच की दूरी लगभग 126 किलोमीटर कम हो जायेगी.
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2004-05 में दी थी मंजूरी
तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2004-05 में पहली बार 149.78 किलोमीटर लंबी तालचेर-बिमलगढ़ रेलवे लाइन के लिए पांच करोड़ रुपये स्वीकृत किये थे. तब से हर बजट में इस परियोजना के लिए धनराशि स्वीकृत की जाती रही है. अब तक लगभग 1928.7 करोड़ रुपये स्वीकृत किये जा चुके हैं. रेलवे ने भूमि अधिग्रहण के मुआवजे के रूप में राज्य सरकार की तहसील में पैसा भी जमा कर दिया है. तालचेर-बिमलगढ़ रेलवे परियोजना की मांग लगभग छह दशक पुरानी है. इस बीच 40 रेल मंत्री बदल चुके हैं, लेकिन परियोजना का भविष्य अभी भी अधर में है. कभी भूमि अधिग्रहण में अत्यधिक देरी के कारण परियोजना में विलंब हो रहा है, तो कभी निर्माण कार्य में धीमी प्रक्रिया के कारण परियोजना को जिस तेजी से आगे बढ़ना चाहिए, वैसे नहीं बढ़ पा रही है. वैसे इस परियोजना में अनुगूल जिले में निर्माण कार्य में तेजी आयी है. लगभग 52 किलोमीटर लंबी तालचेर-सुनाखानी-समाल-पराबिल-खमार रेलवे लाइन का निर्माण पूरा हो चुका है, जबकि खमार-पल्लहड़ा (28 किलोमीटर) रेलवे लाइन को अगले छह महीनों के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं सुंदरगढ़ जिले में अब मिट्टी बिछाने का काम शुरू हो पाया है.
सुंदरगढ़, अनुगूल और देवगढ़ में 66 गांवों से गुजरेगा रेल पथ
इस परियोजना के लिए सुंदरगढ़, अनुगूल और देवगढ़ जिलों में 1858 एकड़ जमीन की आवश्यकता है. इसमें से अनुगूल जिले में 992 एकड़ सरकारी जमीन, 424 एकड़ निजी जमीन और 442 एकड़ वन भूमि की आवश्यकता है. सुंदरगढ़ जिले में 483 एकड़ जमीन (249 एकड़ निजी, 139 एकड़ सरकारी और 95 एकड़ वन भूमि) और देवगढ़ जिले में 458 एकड़ जमीन परियोजना के लिए इस्तेमाल की जायेगी. यह रेलपथ तीनों जिलों के 66 गांवों से गुजरेगा. वहीं प्रोजेक्ट के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए तालचेर-बिमलागढ़ रेलवे एक्शन कमेटी और राउरकेला सचेतन नागरिक मंच द्वारा दो जनहित याचिकाएं (पीआइएल-23771/2020 और पीआइएल-7274/2021) दायर की गयी थीं. हाल ही में लगभग 530 करोड़ रुपये की लागत से 30.62 किलोमीटर लंबी बिमलगढ़-महुलडीहा रेलवे लाइन का निर्माण कार्य शुरू हुआ है, लेकिन यह अपनी गति बनाये नहीं रख पाया है.
सुंदरगढ़ के सात गांवों में अब तक नहीं हुआ भूमि अधिग्रहण
सुंदरगढ़ जिले के सात गांवों में अभी तक भूमि अधिग्रहण का काम पूरा नहीं हुआ है. नतीजतन विभिन्न हिस्सों में केवल मिट्टी की खुदाई का काम चल रहा है. देवगढ़ जिले में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी धीमी रही है, जिसके परिणामस्वरूप पाल्लहड़ा-बारकोट-महुलडीहा रेलवे परियोजना शुरू नहीं हो पायी है. इस परियोजना के पूरा होने से पश्चिमी ओडिशा के लोगों को न केवल भुवनेश्वर तक पहुंचने में आसानी होगी, बल्कि क्षेत्र के विकास को भी नयी गति मिलेगी. लेकिन देरी के कारण स्थानीय जनता में आक्रोश बढ़ रहा है. अब देखना यह है कि क्या राज्य में सत्तासीन भाजपा की डबल इंजन सरकार इस महत्वपूर्ण परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाती है या नहीं.
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