Rourkela News: एनआइटी के शोधकर्ताओं ने आधुनिक नवीकरणीय ऊर्जा प्रबंधन के लिए इंटेलीजेंट हाइब्रिड माइक्रोग्रिड विकसित किया

Rourkela News: एनआइटी के शोधकर्ताओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में हरित ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इंटेलीजेंट हाइब्रिड माइक्रोग्रिड विकसित किया है.

By BIPIN KUMAR YADAV | October 24, 2025 11:56 PM

Rourkela News: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) राउरकेला के शोधकर्ताओं ने एक नयी स्मार्ट नियंत्रण प्रणाली विकसित की है, जो सौर, पवन और बैटरी से मिलने वाली बिजली को अपने आप प्रबंधित कर सकती है. इस तकनीक को ‘हाइब्रिड माइक्रोग्रिड’ कहा जाता है, जो उन ग्रामीण इलाकों के लिए बनायी गयी है, जहां मुख्य विद्युत ग्रिड की पहुंच नहीं है. इस शोध के निष्कर्ष अंतरराष्ट्रीय पत्रिका आइइइइ ट्रांजेक्शन्स ऑन इंडस्ट्री एप्लीकेशन्स में प्रकाशित हुए हैं. यह अध्ययन प्रोफेसर अर्नब घोष, प्रोफेसर कृष्णा रॉय और शोध छात्रा अनन्या प्रीतिलग्ना बिस्वाल द्वारा किया गया है.

ऊर्जा स्रोतों और भंडारण इकाइयों को समन्वित कर ऊर्जा प्रवाह स्थिर रखती है प्रणाली

इस शोध का मुख्य मकसद जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाकर ग्रामीण और दूरदराज इलाकों को सस्ती, स्वच्छ और निरंतर ऊर्जा देना है. यह कार्य न केवल ऊर्जा की उपलब्धता बढ़ायेगा, बल्कि सतत विकास लक्ष्यों जैसे स्वच्छ ऊर्जा (एसडीजी-7), जलवायु सुधार (एसडीजी-13) और सतत समुदाय (एसडीजी 11) को पूरा करने में भी मदद करेगा. आज दुनिया भर में हाइब्रिड माइक्रोग्रिड तकनीकों पर काम चल रहा है, जो सौर और पवन ऊर्जा को बैटरी भंडारण के साथ जोड़ती हैं, लेकिन इन स्रोतों का सही समन्वय करना मुश्किल होता है, क्योंकि सौर या पवन ऊर्जा का उत्पादन मौसम पर निर्भर करता है. इस चुनौती का समाधान एनआइटी राउरकेला के शोधकर्ताओं ने डायनामिक पावर मैनेजमेंट स्कीम (पीएमएस) के रूप में किया है. यह प्रणाली सभी ऊर्जा स्रोतों और भंडारण इकाइयों को समन्वित कर ऊर्जा प्रवाह को स्थिर रखती है. इससे बैटरी ज्यादा सुरक्षित रूप से चार्ज होती है, उसकी उम्र बढ़ती है और बिजली उत्पादन की लागत कम होती है. यह प्रणाली स्वतः यह तय करती है कि किस समय कौन सा ऊर्जा स्रोत उपयोग करना है, सुबह सौर ऊर्जा, दोपहर में पवन और आवश्यकतानुसार बायोमास या हाइड्रोपावर. इसकी मदद से लगभग 10 किलोवाट तक ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है, जो चार ग्रामीण परिवारों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त है.

जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटेगी, ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी

विकसित प्रणाली के बारे में बात करते हुए एनआइटी राउरकेला के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर प्रो अर्नब घोष और प्रो कृष्णा रॉय ने कहा कि यह कार्य विभिन्न स्रोतों, लोड्स और भंडारण प्रणालियों के बीच ऊर्जा प्रबंधन पर केंद्रित है. नवीकरणीय ऊर्जा से एकीकृत माइक्रोग्रिड्स में उपयोग की जाने वाली ऊर्जा प्रबंधन तकनीकें सामाजिक लाभ प्रदान करती हैं, क्योंकि वे विशेष रूप से दूरस्थ समुदायों में विश्वसनीय विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करती हैं. ये तकनीकें सतत विकास को प्रोत्साहित करती हैं, स्थानीय रोजगार के अवसर उत्पन्न करती हैं और जीवन स्तर में सुधार लाती हैं. इसके अतिरिक्त, ये जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को कम करती हैं, ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाती हैं और स्वच्छ, किफायती तथा समान ऊर्जा समाधानों के माध्यम से समुदाय की मजबूती को सशक्त बनाती हैं. देश में नवीकरणीय ऊर्जा के वितरण को सुदृढ़ करने वाले विकेंद्रीकृत विद्युत उत्पादन प्रणाली एनआइटी, राउरकेला के मिशन को साकार करने में मदद करती हैं. यह रणनीति एनआइटी राउरकेला को सभी घरों, विशेषकर ग्रामीण और ऑफ-ग्रिड क्षेत्रों में, विश्वसनीय हरित ऊर्जा पहुंच प्रदान करने के अपने लक्ष्य के और करीब ले जाती है.

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