Odisha News: बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने आंदोलन में शामिल संबलपुर के 54 वकीलों का वापस लिया निलंबन

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने वकीलों के प्रैक्टिस लाइसेंस को निलंबित कर दिया था और उन्हें किसी कानूनी मामले में भाग लेने के लिए अदालत परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया था.

By Prabhat Khabar | March 15, 2023 9:16 AM

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) ने पिछले साल संबलपुर में अदालत परिसर में विरोध-प्रदर्शन और तोड़फोड़ करने के मामले में 54 वकीलों पर से निलंबन वापस ले लिया है. ओडिशा स्टेट बार काउंसिल को लिखे पत्र में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने संबलपुर जिला बार एसोसिएशन के 54 अधिवक्ताओं के निलंबन को रद्द करने की जानकारी दी है, जिनका लाइसेंस दिसंबर 2022 में बीसीआइ की ओर से निलंबित कर दिया गया था.

इसके साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने आगामी बार काउंसिल चुनाव में उपरोक्त वकीलों के नाम मतदाता सूची में शामिल करने की अनुमति भी दे दी है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने वकीलों के प्रैक्टिस लाइसेंस को निलंबित कर दिया था और उन्हें किसी कानूनी मामले में भाग लेने के लिए अदालत परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य पुलिस को निर्देश दिया था कि हिंसा में संलिप्त दोषी अधिवक्ताओं के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जाये.शीर्ष अदालत के निर्देश के बाद पुलिस ने वकीलों को गिरफ्तार किया था. इसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कार्रवाई की थी.ओडिशा हाइकोर्ट की नयी पीठ की मांग को लेकर आंदोलन में शामिल थे ये वकील

अदालत परिसर में विरोध-प्रदर्शन और तोड़फोड़ में थे शामिल

संबलपुर में उच्च न्यायालय की स्थायी खंडपीठ की मांग करते हुए वकीलों ने 12 दिसंबर, 2022 को संबलपुर जिला अदालत में घुसकर कथित रूप से परिसर में तोड़फोड़ की थी. गौरतलब है कि नागरिकों द्वारा समर्थित वकीलों ने संबलपुर जिले में ओडिशा उच्च न्यायालय की एक स्थायी बेंच स्थापित करने की अपनी लंबे समय से चली आ रही मांग को आगे बढ़ाने और बार काउंसिल ऑफ इंडिया और ओडिशा स्टेट बार काउंसिल की मनमाना कार्रवाई का विरोध करने के लिए विरोध-प्रदर्शन किया था.

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इसके बाद ओडिशा उच्च न्यायालय ने जिला अदालत परिसर में तोड़फोड़ में कथित संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किये गये वकीलों को सशर्त जमानत देने के साथ ही तथा शीर्ष अदालत ने उन्हें रैलियां नहीं करने, टिप्पणी जारी करने या अपनी मांग से जुड़े विचार किसी को न देने समेत अन्य शर्तों पर राहत दी थी. लेकिन अभी भी उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का मामला जारी रहने की सूचना है.

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