World Urdu Day 2022: 1946 में की गयी थी उर्दू पुस्तकालय की स्थापना, किया जा रहा है रंग रोगन

हर साल 9 नवंबर को विश्व उर्दू दिवस मनाया जाता है. विश्व उर्दू दिवस सर मुहम्मद इकबाल की जयंती को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है. वहीं, उर्दू की महत्ता बढ़ाने के लिए मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने उर्दू लाइब्रेरी की स्थापना वर्ष 1946 में की थी. जिसका रंग रोगन किया जा रहा है.

By Prabhat Khabar | November 10, 2022 11:33 AM

World Urdu Day 2022: उर्दू की महत्ता बढ़ाने के लिए मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने उर्दू लाइब्रेरी की स्थापना वर्ष 1946 में की थी. इसको लेकर चार-पांच लोगों ने मिलकर पब्लिक उर्दू लाइब्रेरी ट्रस्ट बनाया. इसमें खान बहादुर हबीबुर्ररहमान चेयरमैन थे और सचिव अब्बास हसन गजवी थे. उस जमाने में लाइब्रेरी की स्थापना करने का मुख्य उद्देश्य उर्दू भाषा का विकास करना और लोगों में इसके प्रति समझ विकसित करना था. इस लाइब्रेरी को बनाने में तब पांच हजार रुपये खर्च हुए थे. यहां नामचीन शायरों की कई किताबें थीं, लेकिन देखरेख के अभाव में किताबें खराब हो गयीं. लेकिन, अब उर्दू लाइब्रेरी नये रूप में नजर आने वाला है. उर्दू लाइब्रेरी कमेटी द्वारा लाइब्रेरी भवन का रंग-रोगन दिसंबर में किया जायेगा. किताबों को रखने के लिए नये-नये आलमीरा, बैठने के लिए बेंच आदि की व्यवस्था की जायेगी. कमेटी द्वारा 250 उर्दू किताबों का ऑर्डर किया जा चुका है. उक्त किताबें जल्द दिल्ली से आनेवाली हैं.

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नामचीन शायरों की पुस्तकें

इस लाइब्रेरी के संचालन का मकसद उर्दू जबान की तरक्की था. उस समय उर्दू के नामचीन शायरों मीर तकी मीर, मिर्जा गालिब, अल्लामा इकबाल व कलाम साहब की किताबों का यहां संग्रह है. यहां उर्दू लिटरेचर की भी किताबें और इतिहास से संबंधित कई किताबें हैं. पहले यहां समय-समय पर मुशायरा हुआ करता था. पहले यहां आठ से 10 अलमीरा में 1000 से अधिक पुस्तकें रखी होती थीं. देखरेख के अभाव में अब 200-250 किताबें ही बच गयी हैं.

राेजाना अखबार पढ़ने आते हैं लोग

इस लाइब्रेरी में लोग अखबार पढ़ने आते हैं. सुबह में यह लाइब्रेरी आठ से 10 बजे तक खुलती है और शाम में पांच से रात आठ बजे तक खुली रहती है. इस लाइब्रेरी में रोज 10 से अधिक लोग अखबार पढ़ने आते हैं. फिलहाल यहां जो किताबें हैं, उसे किसी को इश्यू नहीं किया जाता है. लाइब्रेरी ट्रस्ट के अध्यक्ष मोहम्मद आबिद ने बताया कि कोई भी यहां आकर निर्धारित समय में अखबार या किताबें पढ़ सकते हैं.

रिपोर्ट : पूजा सिंह, रांची

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