Ranchi news : भक्ति का मार्ग सरल व ध्यान का मार्ग कठिन है : मुनिश्री
दिगंबर जैन मंदिर में मुनिश्री ने प्रवचन करते हुए कहा कि धर्म के मार्ग में दो तरह की पद्धति है. एक भक्ति का मार्ग है और एक ध्यान का मार्ग है.
रांची.
मुनिश्री समता सागर जी महाराज, मुनिश्री पवित्र सागर जी महाराज, ऐलक निश्चय सागर जी महाराज और ऐलक निजानंद सागर जी महाराज इन दिनों रांची प्रवास पर हैं. इसी क्रम में मंगलवार को दिगंबर जैन मंदिर में मुनिश्री ने प्रवचन करते हुए कहा कि धर्म के मार्ग में दो तरह की पद्धति है. एक भक्ति का मार्ग है और एक ध्यान का मार्ग है. भक्ति के मार्ग में भक्त भगवान का स्मरण करते हुए शुभ कार्यों को करते हैं. वहीं, ध्यान का मार्ग वो है, जिसमें बाह्य कार्यों से निवृत्त होकर अपनी आत्मा को केंद्रित करते हुए अपने भावों को एकाग्र करना है. भक्ति का मार्ग सरल है, ध्यान का मार्ग कठिन है.गृहस्थ जन भक्ति का मार्ग अपनाते हैं
मुनिश्री ने प्रवचन के दौरान कहा कि भक्ति का मार्ग ऐसा है, जैसे गंगा नदी का प्रवाह बह रहा है और उस प्रवाह के साथ अपने को बहाते हुए आगे बढ़ जाना. भक्ति का मार्ग सरल होने के कारण गृहस्थ जन इसे स्वीकार करते हैं. इस अवसर पर जैन समाज के पूर्व अध्यक्ष पूरणमल सेठी, नरेंद्र पांड्या, छीतरमल गंगवाल, नरेंद्र गंगवाल, मनोज काला, सुभाष विनायक्या, अजीत काला, प्रमोद झांझरी, प्रदीप बाकलीवाल व जितेंद्र छाबड़ा सहित काफी संख्या में समाज के लोग उपस्थित थे.
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