रांची में 24 मार्च को निकलेगी सरहुल पूजा की शोभायात्रा, दोपहर 1 बजे से होगा महाजुटान

जानकारी देते हुए बताया गया कि इस जल रखाई पूजा में पहान के द्वारा घड़े में पानी रखकर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है. 24 मार्च 2023 को सरना पूजा किया जाएगा और उसके बाद करीब 1 बजे से शोभायात्रा निकाली जाएगी. उन्होंने बताया कि इस बार के शोभायात्रा में लाखों की संख्या में उपासक आने की उम्मीद है.

By Aditya kumar | March 11, 2023 7:00 PM

Sarhul 2023 : राज्य भर में सरहुल पूजा महोत्सव को लेकर तैयारियां जोरों से चल रही है. ऐसे में सरहुल पूजा महोत्सव की तैयारी को लेकर केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय कार्यालय 13आर आईटी बिल्डिंग कचहरी परिसर रांची में बैठक रखी गई. साथ ही बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि सरहुल, प्रकृति पूजक आदिवासियों का सबसे बड़ा त्योहार है. 23 मार्च 2023 को उपवास एवं मछली केकड़ा पकड़ने वाली विधि होगी और शाम 4:00 बजे जल रखाई पूजा किया जायेगा.

रांची में 24 मार्च को निकलेगी सरहुल पूजा की शोभायात्रा, दोपहर 1 बजे से होगा महाजुटान 2
जल रखाई पूजा में पहान के द्वारा घड़े में पानी रखकर मौसम की भविष्यवाणी

आगे उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि इस जल रखाई पूजा में पहान के द्वारा घड़े में पानी रखकर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है. 24 मार्च 2023 को सरना पूजा किया जाएगा और उसके बाद करीब 1 बजे से शोभायात्रा निकाली जाएगी. उन्होंने बताया कि इस बार के शोभायात्रा में लाखों की संख्या में उपासक आने की उम्मीद जतायी जा रही है. अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के महासचिव विमल कच्छप ने कहा कि आदिवासी प्राकृतिक पूजक होते हैं, सरहुल में आदिवासी धरती एवं सूर्य के विवाह के रूप में मानते हैं आदिवासी मान्यता के अनुसार अभी धरती कुंवारी रूप धारण करती है.

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साथ ही बता दें कि आदिवासी अभी नए नए फल फूल सब्जी का प्रयोग नहीं करते हैं. बताया जाता है कि सरहुल पूजा करके लोग नए-नए सब्जी फल फूल का प्रयोग करते हैं. आगे उन्होंने बताया कि 12 मार्च 1970 को अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के द्वारा 13आर आई टी बिल्डिंग कचहरी परिसर में केंद्रीय समिति का गठन किया गया था जिसका कल 12 मार्च को केंद्रीय सरना समिति का 53वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा. बैठक में केंद्रीय सरना समिति के उपाध्यक्ष प्रमोद एक्का, संरक्षक भुनेश्वर लोहरा अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के महासचिव विमल कच्छप सहित कई लोग शामिल थे.

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