Exclusive: शुद्ध पानी के लिए झारखंड कितनी भी राशि लें केंद्र देने को तैयार : मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल

नल से जल पहुंचाने के मामले में देश के 10 पिछड़े जिलों में झारखंड के सात जिले शामिल हैं, केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत 50 हजार करोड़ की राशि का आवंटन किया है. मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने प्रभात खबर से बातचीत में कहा है कि राज्य को शुद्ध पानी पहुंचाने के लिए हम कितनी भी राशि देने को तैयार हैं.

By Prabhat Khabar | November 19, 2021 9:46 AM

Jharkhand news, Ranchi News रांची : केंद्रीय फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज व जल शक्ति राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा है कि पानी राज्य का विषय है. बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकल्प लिया कि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर हम यह सुनिश्चित करें कि देश के हर घर तक पाइपलाइन से पीने का शुद्ध जल पहुंचे. नल से जल पहुंचाने में देश के 10 पिछड़े जिलों में झारखंड के सात जिले शामिल हैं. केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत 50 हजार करोड़ की राशि का आवंटन किया है. केंद्र के पास पैसे की कमी नहीं है. शुद्ध पेयजल के लिए झारखंड जितनी राशि चाहे, केंद्र सरकार से ले. रांची पहुंचे श्री पटेल ने गुरुवार को प्रभात खबर के सतीश कुमार से बातचीत की.

Qफूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज व जल शक्ति मंत्रालय की ओर से फिलहाल किन योजनाओं पर काम हो रहा है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोकस इन दोनों मंत्रालय पर खास तौर पर है. दोनों मंत्रालय आम लोगों की जरूरतों के साथ सीधे तौर पर जुड़ा है. देश के हर घर में पाइपलाइन से पानी पहुंचे, इसके लिए अगले 30 साल को ध्यान में रख कर योजना बनायी गयी है. कई राज्यों व केंद्र शासित राज्यों ने शत- प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया है. हालांकि राष्ट्रीय औसत की तुलना में झारखंड की स्थिति अच्छी नहीं है. इसमें सरकार पहले से बिछी पाइपलाइन का उपयोग कर सकती है.

Qमेगा फूड पार्क को लेकर क्या संभावनाएं हैं?

झारखंड में मेगा फूड पार्क को लेकर काफी संभावनाएं हैं. इसे लेकर राज्य में अधिक लैबोरेटरी स्थापित करने की जरूरत पड़ेगी. फिलहाल बीआइटी में ही फूड लैब चल रहा है. जब तक आप पैरामीटर तय नहीं करेंगे, देश के बाहर अपने प्रोडक्ट को नहीं पहुंचा सकते हैं.

Qक्या पेट्रोलियम व खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाने की कोई योजना है?

मुझे लगता है जो चीजें आयात होती है, वही देश के सामने चिंता का विषय है. प्रधानमंत्री ने वर्ष 2015 में ही आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ने की बात कही थी. इस दिशा में हम बढ़ते, तो यह नौबत ही नहीं आती. हमने पेट्रोल का विकल्प खोज लिया है. कैबिनेट ने निर्णय ले लिया है. जल्द ही इस दिशा में काम होगा.

Qडीवीसी की कार्रवाई पर राज्य सरकार सवाल उठा रही है. आप इसे कैसे देखते हैं?

मैं इस विषय पर टिप्पणी नहीं कर सकता. मुझे लगता है कि झारखंड सरकार को मोदी मॉडल स्वीकार करना चाहिए. पैसा रख दीजिए. आप अपनी जिम्मेदारी पूरी करते हैं, तो खजाना खुला है. जिम्मेवारी सब पर तय होनी चाहिए. आपदा के समय मोदी ने अनाज बांटने का काम किया. उस वक्त तो चुनाव नहीं था. प्रधानमंत्री की यही सोच थी कि एक साल दीपावली तक गरीबों के घर प्रसन्नता का दीपक जले.

Posted By : Sameer Oraon

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