रांची सोनाहातू के बच्चे तैयार कर रहे हैं औषधि पौधशाला, अभिनेता हरिश पटेल भी कर चुके हैं तारीफ

सोशल साइंटिस्ट शुभाशीष चक्रवर्ती से प्ररित होकर रांची सोनाहातु के बच्चे औषधि पौधशाला तैयार कर गांव को स्वच्छ वातावरण दे रहे हैं. बच्चों के इस प्रयास की सराहना अभिनेता हरिश पटेल कर चुके हैं. साथ ही साथ जीवन कौशल की सीख भी बच्चों को मिले हैं

By Prabhat Khabar | April 18, 2022 12:53 PM

रांची: सोशल साइंटिस्ट शुभाशीष चक्रवर्ती कई वर्षों से सोनाहातू प्रखंड के पंडाडीह गांव के बच्चों को जीवन कौशल की सीख दे रहे हैं. इसी का परिणाम है कि इन बच्चों ने सिर्फ सांस्कृतिक लोक कला छऊ में खुद को विकसित किया है, साथ ही उनके खेल की सराहना सचिन तेंदुलकर भी कर चुके हैं. अब गांव के बच्चे औषधि पौधशाला तैयार कर गांव को स्वच्छ वातावरण दे रहे हैं. साथ ही लोगों को प्रेरित कर रहे हैं. बच्चों के इस प्रयास की सराहना अभिनेता हरिश पटेल कर चुके हैं.

सोशल साइंटिस्ट शुभाशीष चक्रवर्ती अपने वेतन से गांव के बच्चों को कर रहे प्रेरित
गुरु लाको बोदरा से हुए प्रेरित, लाइब्रेरी बनायी

शुभाशीष कहते हैं : वे काम के बीच समय निकालकर चाईबासा, सरायकेला, साेनाहातू के गांवों का भ्रमण करते रहते हैं. इस दौरान कई घरों में आदिवासी दार्शनिक गुरु लाको बोदरा की तस्वीर देखी, जिन्होंने हो भाषा की लिपि ‘वारंग क्षिति’ की खोज की है़ इससे शुभाशीष भी प्रभावित हुए़ फिल्म ‘जादुई लिपि’ बनायी, जिसका प्रभाव समाज में पड़ा. बच्चों के शैक्षणिक विकास के लिए 7000 किताबें इकट्ठा कर जगह-जगह लाइब्रेरी तैयार की.

यूएन में दे चुके हैं व्याख्यान

शुभाशीष को 2005 में कला संस्कृति विभाग भारत सरकार फेलोशिप दे चुका है़ इसके बाद प्रत्येक माह अपनी मासिक आय की 15-20 फीसदी राशि सामाजिक कार्यों पर खर्च करते हैं. फेलोशिप के तहत गांव को आदर्श ग्राम बनाने को लेकर यात्रा वृत्तांत लिख चुके हैं. 2019 में संयुक्त राष्ट्र संघ की परिचर्चा में शामिल होने का मौका भी मिल चुका है़

समाज को समझना और उसके विकास में सहयोग जरूरी

शुभाशीष ने बताया कि सामुदायिक एकता से सामाजिक दायित्वों का निर्वाह किया जा सकता है. इसमें अपनी सीख और जानकारी से लोगों का विकास संभव है. इसके लिए लोगों को अपने पारंगत विषयों की सीख दूसरों तक पहुंचानी होगी. इससे सरकार की योजनाओं काे धरातल पर उतारा जा सकेगा. नौकरी के बीच समय निकालकर शुभाशीष प्रत्येक महीने पंडाडीह गांव जाते हैं. बच्चों को करियर विकल्पों की जानकारी देते हैं. साथ ही विषय विशेषज्ञों की मदद भी लेते हैं, जिससे बच्चों को सेना, संगीत, कला, खेल व शैक्षणिक पाठ्यक्रमों की जानकारी मिल रही है.

Posted By: Sameer Oraon

Next Article

Exit mobile version