टाटा के अलावा सेल, रेल और कोल कंपनियों के खिलाफ भी होगा आंदोलन – झामुमो

झामुमो महासचिव ने कहा है कि जैसा आंदोलन टाटा के खिलाफ हो रहा है, वैसा ही आंदोलन अब सेल, रेल, कोल कंपिनयों और अन्य पीएसयू के खिलाफ भी होगा. उन्होंने कहा कि अब हम अपने अधिकारों के लड़ने के लिए तैयार हैं. जेपीएससी आंदोलन पर उन्होंने कहा कि जेपीएससी स्वायत्त संस्था है और उसकी अपनी नियमावली है.

By Prabhat Khabar | November 20, 2021 7:43 AM

Jharkhand News, Ranchi News रांची : झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जैसा आंदोलन टाटा जैसी कंपनी के खिलाफ हो रहा है, वैसा ही आंदोलन अपने अधिकार के लिए अब सेल, रेल, कोल कंपिनयों और अन्य पीएसयू के खिलाफ भी होगा. बरियातू स्थित झामुमो के केंद्रीय कार्यालय में झामुमो महासचिव ने कहा कि किसान आंदोलन की सफलता के बाद अब हम अपने अधिकारों के लिए लड़ने को तैयार हैं.

पहले पहचान के लिए लड़े थे और अब अपने अधिकार को सुरक्षित करेंगे. टाटा जैसी कंपनी से इसकी शुरुआत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि लगभग 150 साल से छाती पर लोहा चलानेवाले लोग आज जब अपना काम हो गया, तो राज्य को छोड़कर भागने में लग गये. हमको तो 75 प्रतिशत रोजगार चाहिए ही. साथ में जो काम निकाले जाते हैं, उनमें भी एक करोड़ तक का काम मूलवासियों के लिए सुरक्षित करना होगा. नहीं तो यहां पर चक्का जाम किया जायेगा. यह संघर्ष हर पीएसयू चाहे सेल, रेल और कोल हो, सभी जगह होगा. इसे और आगे बढ़ाया जायेगा.

अब जनता ऑफिसों के चक्कर नहीं लगायेगी, अफसर ही जायेंगे घर तक :

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि अभी आपके अधिकार, आपकी सरकार, आपके द्वार (Aapke Adhikar Aapki Sarkar Aapke Dwar ) अभियान चल रहा है. इस अभियान में पंचायत में शिविर लगाकर लोगों के काम किये जा रहे हैं. सरकार का लक्ष्य है कि 2024 में यह भी नहीं करना पड़े, बल्कि पदाधिकारी जनता के घर में जायेंगे और उनका काम करेंगे. जनता को आवेदन देने के लिए सरकारी दफ्तर नहीं आना होगा, बल्कि सरकारी पदाधिकारी जनता के घर तक जायेंगे.

जेपीएससी आंदोलन पर उन्होंने कहा कि जेपीएससी स्वायत्त संस्था है और उसकी अपनी नियमावली है. जेपीएससी स्वयं से हल करे. इस मामले में पार्टी कुछ नहीं कहना चाहती है. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि कृषि कानूनों को वापस कराने के लिए जो शहादत हुई, उसे झामुमो सलाम करता है. केंद्र सरकार अब फॉरेस्ट राइट एक्ट को समाप्त करने की तैयारी में है. जंगलों से आदिवासियों का अधिकार छीनकर उसे कॉरपोरेट को देने की तैयारी चल रही है.

Posted by : Sameer Oraon

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