झारखंड के निजी अस्पताल मरीजों को ऐसे लगा रहे चूना, दवा और सर्जिकल आइटम से कमा रहे 1800 फीसदी तक मुनाफा

Jharkhand News: झारखंड के निजी अस्पताल दवा और सर्जिकल आइटम के नाम पर अधिक पैसे की वसूली कर उन्हें जमकर चूना लगा रहे हैं. इसका खुलासा औषधि निदेशालय की जांच में हुआ है. इस खेल में अस्पताल और दवा निर्माता कंपनियां दोनों की ही सांठ गांठ रहती है.

By Sameer Oraon | April 8, 2025 10:20 AM

रांची, राजीव पांडेय: झारखंड के निजी अस्पताल मरीजों से दवा और सर्जिकल आइटम के नाम पर 1800 फीसदी तक मुनाफा कमा रहे हैं. यह खुलासा राज्य औषधि निदेशालय द्वारा हाल ही में की गयी जांच में हुआ है. निदेशालय की जांच में पाया गया है कि राजधानी सहित कुछ अन्य जिलों के मल्टी और सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल दवा का मूल्य मैक्सिमम रिटेल प्राइस यानी अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर तो लेते हैं, लेकिन उसकी कीमत काफी कम होती है. वहीं कुछ अस्पताल मरीजों को रियायत देने के नाम पर एमआरपी से कुछ कम कीमत पर दवा दे देते हैं. ऐसे में मरीज को लगता है कि उनसे दवा की सही कीमत ली गयी है. लेकिन उन्हें पता नहीं होता है कि इसमें अस्पताल को मुनाफा काफी होता है.

सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल ने आइवी सेट के लिए वसूला 201 रुपये

रांची के एक सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल ने आइवी सेट के लिए 201 रुपये वसूला, जिस पर एमआरपी 252 रुपये लिखा था. हालांकि अस्पताल ने 10.52 रुपये में इसे खरीदा था. वहीं, टिकोसिन 400 (इंजेक्शन के रूप में दवा) का एमआरपी 2714.43 रुपये है और कीमत मरीज से इतनी ही वसूली गयी, जबकि अस्पताल ने 490 रुपये में इसे खरीदा. यानी मुनाफा 454 फीसदी तक कमाया गये.

Also Read: झारखंड के पेयजल और स्वच्छता विभाग में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी, 160 करोड़ के काम में रुपये गबन की आशंका

नियमावली नहीं होने से धड़ल्ले से कमा रहे हैं निजी अस्पताल

मुनाफा के इस खेल में अस्पताल और दवा निर्माता कंपनियों की साठगांठ होती है. निजी अस्पताल वास्तविक कीमत से काफी अधिक दर पर कंपनी से एमआरपी तय कराते हैं, जबकि उसका वास्तविक मूल्य काफी कम होता है. निजी अस्पतालों को कार्रवाई का भय इसलिए नहीं रहता है, क्योंकि वह एमआरपी से ज्यादा पैसा नहीं लेते हैं. इसलिए उन्हें कार्रवाई का भय नहीं होता.

आयुष्मान, इंश्योरेंस और सामान्य मरीजों से एक ही इलाज का अलग-अलग पैसा

निजी अस्पताल आयुष्मान भारत योजना, इंश्योरेंस और सामान्य मरीजों से एक ही इलाज का अलग-अलग पैसा वसूलते हैं. आयुष्मान भारत योजना के लिए दवा और सर्जिकल आइटम की अलग कीमत, इंश्योरेंस कंपनी से अलग कीमत और सामान्य मरीज ( जो पैसा देकर इलाज कराते है) से अलग पैसा लेते है. यानी मरीजों ने अनुसार, एक ही कंपनी की दवाओं की कीमत अलग-अलग होती है.

Also Read: झारखंड कैबिनेट की बैठक आज, युवाओं को हेमंत सोरेन सरकार दे सकती है बड़ा तोहफा