झारखंड हाईकोर्ट ने दिया आदेश, लोहार जाति OBC श्रेणी की ही मानी जायेगी

लोहार जाति को एसटी में शामिल करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर हाइकोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने सुनवाई की. अदालत ने सरकार और प्रार्थी की दलील सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी. लोहार जाति को एसटी की सूची से बाहर करते हुए ओबीसी में शामिल करने को सही बताया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 17, 2022 11:46 AM

Ranchi news: झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को अपने आदेश में कहा कि लोहार जाति ओबीसी श्रेणी की ही मानी जायेगी. प्रार्थी की दलील स्वीकार योग्य नहीं है. अदालत ने राज्य सरकार की दलील को स्वीकार करते हुए 13 अगस्त 2019 में लोहार जाति को एसटी की सूची से बाहर करते हुए ओबीसी में शामिल करने को सही बताया.

लोहार जाति को एसटी में शामिल करने की मांग

लोहार जाति को एसटी में शामिल करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर हाइकोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने सुनवाई की. अदालत ने सरकार और प्रार्थी की दलील सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी. इससे पूर्व प्रार्थी ने बताया कि राज्य सरकार ने लोहार जाति को एसटी की सूची से अलग करते हुए ओबीसी में शामिल कर दिया है. पहले लोहार जाति एसटी की सूची में थी. राज्य सरकार का आदेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है.

सरकार का निर्णय विधिसम्मत है

वहीं, राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने बताया कि सरकार का निर्णय विधिसम्मत है. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2022 में भी माना था कि लोहरा व लोहारा एसटी कैटेगरी में होंगे. हिंदी में लोहार लिखा होने के कारण उक्त जाति को एसटी कैटेगरी का दर्जा दिया गया था, जो सही नहीं है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी दशरथ प्रसाद ने याचिका दायर की थी. उन्होंने लोहार जाति को एसटी की सूची में शामिल करने की मांग की थी.

नक्शा विचलन मामले में सुनवाई

रानी व जगन्नाथ अस्पताल के नक्शा विचलन मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत में सुनवाई हुई़ अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया. मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त को होगी.

दुकान खाली कराने के मामले में मांगा जवाब

झारखंड हाइकोर्ट ने मेन रोड स्थित सैनिक मार्केट की दुकान खाली करने आदेश को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की.प्रार्थी का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने सैनिक कल्याण निदेशालय को जवाब दायर करने का निर्देश दिया. अदालत ने पूछा कि मार्केट में कितनी दुकानें है. दुकान किन-किन लोगों को आवंटित की गयी है. दुकान का संचालन कौन कर रहा है. निदेशालय को अगली सुनवाई के पूर्व विस्तृत जवाब दायर करने को कहा है.

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