सरकार ने पढ़ाई करने विदेश जाने वालों को किया सम्मानित, सीएम हेमंत ने कहा- हम वंचितों के साथ, मिलेगा हर अवसर

झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना तहत अनुसूचित जनजाति के छह छात्र जो कि विदेश पढाई के लिए जा रहे हैं, उन्हें सीएम हेमंत ने सम्मानित किया.

By Prabhat Khabar | September 24, 2021 6:17 AM

रांची : राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना अनुसूचित जनजाति के छह छात्रों के लिए अपना भविष्य गढ़ने का वाहक बनेगा. ये सभी इंग्लैंड और आयरलैंड की यूनिवर्सिटी में उच्च शिक्षा ग्रहण करेंगे. बुधवार को प्रोजेक्ट भवन सभागार में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मंत्री चंपई सोरेन ने इन स्कॉलरशिप पानेवाले छात्रों को सम्मानित कर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की.

वहीं ब्रिटिश उप उच्चायुक्त ने पत्र भेजकर मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार की प्रशंसा की. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आज झारखंड के छह आदिवासी बच्चे उच्च शिक्षा के लिए यूनाइटेड किंगडम जा रहे हैं. इन्हें यह मौका मिलना चाहिए था.

आनेवाले दिनों में 10 से अधिक बच्चों का चयन कर उन्हें विदेश में उच्च शिक्षा देने का अवसर दिया जायेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल यह योजना आदिवासी समुदाय के छात्रों को उच्च शिक्षा का अवसर दे रही है, आनेवाले समय में अन्य वर्गों के बच्चों को भी अवसर देने पर सरकार विचार करेगी.

टॉपर को भी मिलेगी राशि : मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में उन्होंने सीबीएसइ, आइसीएसइ व जैक बोर्ड के टॉपर के लिए तीन, दो और एक-एक लाख रुपये की सहायता राशि का प्रावधान किया था. पर दूसरी सरकार ने इसे बंद कर दिया. इस वर्ष फिर टॉपर छात्रों को सरकार सम्मानित करेगी.

केंद्र की स्कीम का फायदा पहुंच वालों के बच्चे ले जाते हैं :

मुख्यमंत्री ने कहा कि विदेश भेजने की एक स्कीम केंद्र सरकार की भी है. पर वहां आमलोगों की पहुंच नहीं है.

इस स्कीम का फायदा ब्यूरोक्रेट्स या पहुंचवाले लोग के बच्चे ले जाते हैं. झारखंड पहला राज्य है, जो अपने खर्च से छात्रों को विदेश भेज रहा है. सीएम ने कहा कि आदिवासी वर्ग शैक्षिक रूप से पीछे रहा है. राज्य सरकार इस पर लगातार मंथन कर रही है कि कैसे वंचित, कमजोर, दलित, पिछड़ा वर्ग की बेहतरी के लिए कार्य किया जाये. सरकार इन वर्गों के लिए सदैव खड़ी है.

सीएम ने कहा कि झारखंड को अपने पैरों पर खड़ा होना आवश्यक है, ताकि नयी पीढ़ी नयी नजरों से झारखंड को देख सके. राज्यवासी और उनकी भावनाओं के साथ झारखंड आगे बढ़ेगा. सीएम ने कहा कि आज से सौ साल पहले झारखंड से पहले आदिवासी जयपाल सिंह मुंडा विदेश पढ़ने गये थे. जयपाल सिंह मुंडा ने ना सिर्फ ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा ग्रहण की बल्कि संविधान निर्माण में भी भूमिका निभायी. आज उनके विदेश जाने के ठीक सौवें वर्ष में यहां के आदिवासी छात्रों को सरकार विदेश भेज रही है.

इन्हें मिला स्कॉलरशिप :

स्कॉलरशिप के लिए चयनित छात्रों में हरक्यूलिस सिंह मुंडा यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज में एमए की पढ़ाई करने जा रहे हैं. अजितेश मुर्मू यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन में आर्किटेक्चर में एमए की पढ़ाई करेंगे. आकांक्षा मेरी का चयन लॉ बॉर्ग यूनिवर्सिटी में क्लाइमेट चेंज साइंस एंड मैनेजमेंट में एमएससी के लिए हुआ है.

दिनेश भगत यूनिवर्सिटी ऑफ सस्सेक्स में क्लाइमेट चेंज, डेवलपमेंट एंड पॉलिसी में एमएससी की पढ़ाई करेंगे. इसके अतिरिक्त अंजना प्रतिमा डुंगडुंग यूनिवर्सिटी ऑफ वार्विक में एमएससी तथा प्रिया मुर्मू लॉ बॉर्ग यूनिवर्सिटी में क्रिएटिव राइटिंग एंड द राइटिंग इंडस्ट्रीज में एमए की पढ़ाई के लिए चयनित हुई हैं. स्कॉलरशिप के लिए इनका चयन कमेटी द्वारा किया गया था.

एक छात्र पर करीब 40 लाख रुपये खर्च कर रही है सरकार

राज्य सरकार इस वर्ष छह छात्रों का इंग्लैंड एवं आयरलैंड की यूनिवर्सिटी में उच्च शिक्षा के लिए ट्यूशन फीस सहित उनके रहने एवं अन्य खर्च वहन करेगी. एक छात्र पर करीब 40 लाख रुपये राज्य सरकार खर्च कर रही है.

बोले सीएम : शुरुआत आदिवासी बच्चों से हुई है आगे अन्य वर्ग के बच्चों को भी मिलेगा मौका

सीएम और मंत्री चंपई सोरेन ने मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना से लाभान्वित छात्रों एवं उनके माता-पिता को सम्मानित किया

इंग्लैंड और आयरलैंड में उच्च शिक्षा ग्रहण करेंगे झारखंड के छह आदिवासी स्टूडेंट्स

मैं बोरा लेकर स्कूल जाता था, पर मेरे हस्ताक्षर से बच्चे विदेश पढ़ने जा रहे हैं : चंपई

आदिवासी कल्याण मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि एक समय था, जब मैं बोरा लेकर स्कूल जाता था. यह सुखद क्षण है कि मेरे हस्ताक्षर से राज्य के बच्चे उच्च शिक्षा के लिए विदेश जा रहे हैं.

Posted By : Sameer Oraon

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