Ranchi news : सेवा नियमितीकरण मामले में हाइकोर्ट सख्त कहा : समानता के अधिकार से खिलवाड़
एएनएम की सेवा नियमीतिकरण का आदेश
एएनएम की सेवा नियमीतिकरण का आदेश मामला पलामू में संविदा पर कार्यरत एएनएम की सेवा नियमित नहीं करने का रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पलामू जिले में संविदा पर कार्यरत एएनएम की सेवा नियमितीकरण प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाया है. कहा है कि अन्य जिलों में जहां पांच वर्षों की सेवा के बाद सभी एएनएम को नियमित किया गया, वहीं पलामू में गलत तरीके से आरक्षण नीति का हवाला देकर कई योग्य कर्मियों को नियमितीकरण के लाभ से बाहर रखा गया है. अदालत ने इसे समानता के अधिकार के खिलाफ बताया है. अदालत ने प्रार्थी संगीता कुमारी व निशा कुमारी की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए 17 अक्टूबर 2014 के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसके आधार पर दोनों के सेवा नियमितीकरण के दावे को खारिज किया गया था. अदालत ने राज्य सरकार को आठ सप्ताह के भीतर दोनों प्रार्थियों की सेवा को नियमित करने का आदेश दिया है. अदालत ने सुनवाई के दाैरान उपस्थित पलामू के सिविल सर्जन-अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी से पूछा कि जब 30 जनवरी 2014 की अधिसूचना के अनुसार पांच वर्ष सेवा पूरी कर चुके सभी एएनएम को नियमित किया जाना था, तब इन प्रार्थियों को क्यों वंचित किया गया. इस पर अधिकारी स्पष्ट जवाब नहीं दे सके. अदालत ने कहा कि पलामू में अजीब स्थिति बनी कि आरक्षित वर्ग की रिक्तियां खाली रह गयीं और आरक्षित वर्ग के कई अभ्यर्थियों को सामान्य कोटे में समायोजित कर दिया गया. इससे न तो आरक्षण का पालन हुआ और न ही सेवाकाल का सम्मान. इसके विपरीत बिहार-झारखंड के अन्य जिलों में सभी पात्र एएनएम को नियमित कर दिया गया. अदालत ने कहा कि सेवा नियमितीकरण कोई प्रतियोगी परीक्षा नहीं होती कि कटऑफ तय हो. जब पद खाली हैं और सेवाकाल पूरा है, तो नियमित करने में अड़चन नहीं होनी चाहिए थी. अदालत ने टिप्पणी की कि राज्य सरकार ने नियुक्ति से संबंधित नियमों को मनचाहे तरीके से लागू किया है, जबकि सेवा में पहले से कार्यरत कर्मियों को नियमित करने का स्पष्ट प्रावधान था. अदालत ने उम्मीद जतायी है कि राज्य आगे से समानता और न्याय के सिद्धांत का पालन करना सुनिश्चित करेगा. इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता मनोज टंडन ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी संगीता कुमारी व निशा कुमारी ने याचिका दायर कर सेवा नियमित करने के लिए सरकार को उचित आदेश देने की मांग की थी.
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