राज्यपाल के फैसले के बाद सीएम बने रहेंगे हेमंत सोरेन या देना पड़ेगा इस्तीफा, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

Jharkhand Political Crisis: कानून के जानकार बताते हैं कि हेमंत सोरेन (Hemant Soren JMM) की विधानसभा की सदस्यता भले चली गयी, लेकिन अगर उनकी पार्टी चाहे, तो वह मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं. हां, छह महीने के भीतर उन्हें फिर से चुनाव लड़कर विधानसभा की सदस्यता हासिल करनी होगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 26, 2022 7:22 PM

Jharkhand Political Crisis: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren Disqualified) खनन पट्टा मामले में अपने पद का दुरुपयोग करने के दोषी पाये गये हैं. निर्वाचन आयोग की सिफारिश पर राज्यपाल रमेश बैस ने उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने का फैसला लिया है. निर्वाचन आयोग और राज्य चुनाव आयोग को राजभवन की ओर से इस फैसले की जानकारी दी जायेगी. इसके बाद निर्वाचन आयोग हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की अधिसूचना जारी करेगा. लेकिन, सवाल है कि अब हेमंत सोरेन के पास क्या विकल्प हैं. वह आगे भी मुख्यमंत्री बने रहेंगे या यूपीए को दूसरा मुख्यमंत्री चुनना होगा.

6 महीने के भीतर जीतना होगा विधानसभा चुनाव

कानून के जानकार बताते हैं कि हेमंत सोरेन (Hemant Soren JMM) की विधानसभा की सदस्यता भले चली गयी, लेकिन अगर उनकी पार्टी चाहे, तो वह मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं. हां, छह महीने के भीतर उन्हें फिर से चुनाव लड़कर विधानसभा की सदस्यता हासिल करनी होगी. चूंकि, झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha – JMM) और उसके सहयोगी दलों कांग्रेस (Congress) एवं राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के पास पर्याप्त संख्या बल है, हेमंत सोरेन आगे भी सरकार का नेतृत्व करते रह सकते हैं.

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फिर मुख्यमंत्री बन सकते हैं हेमंत सोरेन

इसके लिए यूपीए विधायक दल की बैठक बुलानी पड़ेगी. इसमें फिर से हेमंत सोरेन को नेता चुना जा सकता है. विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद उन्हें चुनाव लड़ने के लिए छह महीने का वक्त मिलेगा. चुनाव में जीतकर आने के बाद वह फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. अगर इस प्रक्रिया में देरी हुई, तो राज्यपाल अन्य विकल्प पर विचार कर सकते हैं.


…तो झारखंड में लग सकता है राष्ट्रपति शासन

विधि विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर छह महीने के भीतर झारखंड में उपुचनाव नहीं कराया जाता है, तो प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने का भी विकल्प रहेगा. दूसरी तरफ, निर्वाचन आयोग की ओर से सदस्यता रद्द किये जाने के आदेश की प्रति मिलने के बाद हेमंत सोरेन इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं. झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने गुरुवार को इसके संकेत दिये थे. पार्टी इस मामले में विधि विशेषज्ञों की राय ले रही है.

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