Political news : बाजार और किसानों के बीच आज भी बड़ा गैप : कृषि मंत्री
प्राकृतिक खेती पर क्रेता-विक्रेता मीट का आयोजन. कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को काम का तरीका बदलना होगा, उन्हें तकनीकी रूप से मजबूत करना होगा.
रांची.
कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि झारखंड गरीब राज्य है. 70 फीसदी आबादी पारंपरिक खेती से जुड़ी है. यहां ऑर्गेनिक और नेचुरल फार्मिंग शुरुआती दौर में है. अब इसको गति दी जा रही है. ओफाज के माध्यम से किसानों को जागरूक किया जा रहा है. जो भी जैविक के प्राकृतिक उत्पाद तैयार हो रहे हैं, उन्हें अच्छा बाजार नहीं मिल रहा है. आज भी बाजार और किसानों के बीच बड़ा गैप है. इसे पाटना है. मंत्री शनिवार को राजधानी में ओफाज द्वारा प्राकृतिक खेती पर आयोजित क्रेता-विक्रेता मीट को संबोधित कर रही थीं.किसानों का माइंडसेट बदलना होगा
मंत्री ने कहा कि किसान बाजार की जरूरत को नहीं समझ पा रहे हैं. यह एक चुनौती है. लेकिन, इसी को अवसर में बदलना है. किसानों को काम का तौर तरीका बदलना होगा. उनको तकनीकी रूप से मजबूत करना होगा. दूसरे राज्यों का मॉडल दिखाना होगा. एफपीओ मोड में खेती करानी होगी. किसानों का माइंडसेट बदलना होगा. ज्ञान शेयर करना होगा. प्रगतिशील किसानों को सब्सिडी देनी होगी. इसके लिए एसओपी तैयार कराया जायेगा.
पर्यावरण संरक्षण के लिए भी प्राकृतिक खेती जरूरी
विभागीय सचिव अबु बकर सिद्दीख ने कहा कि झारखंड में पहली बार जैविक और प्राकृतिक खेती करने वालों के लिए इस तरह का आयोजन हो रहा है. झारखंड वैसे भी कम रासायनिक खाद उपयोग करने वाला राज्य है. यहां के कई उत्पाद वैसे ही जैविक हैं. पर्यावरण संरक्षण के लिए भी प्राकृतिक खेती जरूरी है.
केन्या झारखंड के साथ काम करने को इच्छुक
इकोलॉजी फोर्टी लिमिटेड, केन्या के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ सेलवम डैनियल ने कहा कि झारखंड में जैविक धान की अच्छी खेती हो सकती है. इसके लिए अनुकूल माहौल है. अगर यहां के किसान इसके लिए आगे आयेंगे, तो संस्था पूरा सहयोग करेगी. उनका उत्पाद भी खरीदेगी. हमारी संस्था झारखंड के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है.
बदल रही है स्थिति
ओफाज के सीइओ विकाश कुमार ने कहा कि झारखंड में खेती-बारी में स्थिति बदल रही है. राज्य गठन के समय 22 लाख टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ था. आज 78 से 80 लाख टन तक उत्पादन हो रहा है. झारखंड में करीब 40 हजार हेक्टेयर में ऑर्गेनिक खेती हो रही है. सिद्धकोफेड के सचिव राकेश कुमार सिंह ने कहा कि झारखंड के 70 फीसदी किसान भी पारंपरिक रूप से जुड़े हैं. यहां संभावना बहुत है, इसको बढ़ावा देने की जरूरत है. इस मौके पर रामकृष्ण मिशन विश्वविद्यालय के डीन डॉ राघव ठाकुर, निदेशक भूमि संरक्षण अशोक सम्राट व डॉ सुधा रेड्डी समेत अन्य मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
