झारखंड में कोरोना के 07 खतरनाक वेरिएंट मिले, सबसे अधिक डेल्टा वेरिएंट से संक्रमण, जीनोम सिक्वेसिंग के जरिये चला पता

जीनोम सिक्वेसिंग के लिए आइएलएस लैब भुवनेश्वर भेजे गये थे. ये सैंपल रांची, जमशेदपुर, पलामू, हजारीबाग, धनबाद शहरों के हैं. भुवनेश्वर में कराये गये जीनोम सिक्वेसिंग में 328 में वायरस के वेरिएंट पाये गये. इनमें अलग-अलग प्रकार के वेरिएंट हैं. स्वास्थ्य विभाग के आइसी के नोडल पदाधिकारी सिद्धार्थ त्रिपाठी ने प्रेस कांफ्रेस में बताया कि पांच जिलों से 364 में 328 सैंपल में वैरिएंट ऑफ कंसर्न म्यूटेंट पाया गया है. ये ज्यादा खतरनाक होता है. इस म्यूटेंट से लोगों की मौत ज्यादा होती है. साथ ही फेफड़ों में संक्रमण और ऑक्सीजन के लेवल में भी कमी आती है.

By Prabhat Khabar | June 22, 2021 6:55 AM

New Variant In Jharkhand, delta variant cases in jharkhand रांची : झारखंड में कोरोना वायरस के अब तक सात वेरिएंट मिले हैं. ये वेरिएंट खतरनाक माने जाते हैं. इन्हें वेरिएंट अॉफ कंसर्न (वीओसी) कहा गया है. झारखंड में सबसे अधिक डेल्टा वेरिएंट पाये गये हैं. हालांकि राज्य में जो वेरिएंट मिले हैं, उनमें कप्पा, अल्फा व अन्य वेरिएंट हैं. झारखंड सरकार द्वारा पांच जिलों के कोरोना संक्रमितों के सैंपल के जीनोम सिक्वेसिंग से इसका खुलासा हुआ है.

सरकार द्वारा अप्रैल से लेकर नौ जून तक के 364 सैंपल

जीनोम सिक्वेसिंग के लिए आइएलएस लैब भुवनेश्वर भेजे गये थे. ये सैंपल रांची, जमशेदपुर, पलामू, हजारीबाग, धनबाद शहरों के हैं. भुवनेश्वर में कराये गये जीनोम सिक्वेसिंग में 328 में वायरस के वेरिएंट पाये गये. इनमें अलग-अलग प्रकार के वेरिएंट हैं. स्वास्थ्य विभाग के आइसी के नोडल पदाधिकारी सिद्धार्थ त्रिपाठी ने प्रेस कांफ्रेस में बताया कि पांच जिलों से 364 में 328 सैंपल में वैरिएंट ऑफ कंसर्न म्यूटेंट पाया गया है. ये ज्यादा खतरनाक होता है. इस म्यूटेंट से लोगों की मौत ज्यादा होती है. साथ ही फेफड़ों में संक्रमण और ऑक्सीजन के लेवल में भी कमी आती है.

डब्ल्यूएचओ ने वायरस का नामकरण किया

कोरोना वायरस लगातार अपना स्ट्रेन बदलता रहता है. इस कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस के अलग-अलग स्ट्रेन का नामकरण किया है, जिसे अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, एपसिलोन, जीटा, इटा, थीटा, आओटा व कप्पा नाम दिया गया है. पूर्व में जिस देश में पहला मामला आया था, उस देश के नाम से इस वायरस को जाना जाता था.

बाद में विश्व के कई देशों ने इस पर एतराज जताया. भारत ने भी एतराज जताया था. वजह है कि कोरोना संक्रमण उनके देश से नहीं बल्कि अन्य देश से फैला है. जिसके कारण डब्ल्यूएचओ ने स्ट्रेन का नामकरण उनके कोड के हिसाब से कर दिया. वहीं अब इसी नाम से वायरस को जाना जायेगा, न कि किसी देश में पहला मामला आया उस देश के नाम से.

क्या है डब्ल्यूएचओ के अनुसार वायरस का नया लेवल

वेरिएंट कोड कब मिला था क्या होता है

अल्फा बी.1.1.7 सितंबर 2020 सामान्य वायरस से अधिक तेजी से फैलता है

बीटा बी.1.351 मई 2020 रेजिस्टेंट है

गामा पी.1 नवंबर 20 रेजिस्टेंट है

डेल्टा बी.1.617.2 अक्तूबर 2020 ज्यादा संक्रामक

एपसिलोन बी.1.427/बी.1.429 मार्च 2020 ज्यादा संक्रामक हो सकता है

जीटा पी.2 अप्रैल 2020 ज्यादा रेजिस्टेंट दिखा सकता है

इटा बी.1.525 दिसंबर 2020 वैक्सीन पर भी रेजिस्टेंट दिखा सकता है

थीटा पी.3 जनवरी 21 म्यूटेशन पाया जाता है

आओटा बी.1.526 नवंबर 2020 ज्यादा रेजिस्टेंट हो सकता है

कप्पा बी.1.617.1 अक्तूबर 2020 तेजी से फैलता है

आइएलएस लैब भुवनेश्वर भेजे गये थे सैंपल, 204 सैंपल में डेल्टा वेरिएंट

328 सैंपल में सबसे अधिक 204 में डेल्टा वेरिएंट पाये गये. वहीं 63 में कप्पा, 29 में अल्फा व 32 में अन्य वेरिएंट हैं.

डेल्टा वेरिएंट (बी.1.617, बी.1.617.2 व बी.1.617.3) की बात करें तो जमशेदपुर में 86, रांची में 26, धनबाद में 32, हजारीबाग में 39 व पलामू में 21 सैंपल में पाये गये. डेल्टा वेरिएंट बहुत तेजी से संक्रमण फैलाता है.

कप्पा वेरिएंट (बी.1.617.1) 63 सैंपल में मिले हैं. इनमें जमशेदपुर में 43, रांची में आठ, धनबाद में चार, हजारीबाग में पांच व पलामू में तीन हैं. कप्पा वेरिएंट भी तेजी से फैलता है.

अल्फा वेरिएंट -यूके (बी.1.1.7) कुल 29 सैंपल में मिले हैं. इनमें रांची में 18, जमशेदपुर में सात, हजारीबाग व पलामू में दो-दो मिले हैं. यह अन्य वायरस के प्रकार की तुलना में तेजी से फैलता है.

अन्य पांच प्रकार के वेरिएंट 32 सैंपल में मिले हैं. जिनमें जमशेदपुर में नौ, रांची में चार, धनबाद में 13, हजारीबाग में दो व पलामू में चार मिले हैं. इनका कोड बी.1 ग्रुप से ही जुड़ा है. हालांकि इसके प्रकार अलग हैं

Posted By : Sameer Oraon

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