Ranchi news : बुजुर्गों को सम्मान देना व उनकी देखभाल करना बच्चों की जिम्मेवारी
प्रभात खबर की ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता कृष्ण कुमार ने लोगों को दी कानूनी सलाह.
रांची.
माता-पिता या बुजुर्ग अभिभावकों को सम्मान देना तथा उनकी देखभाल करना जरूरी है. यह बच्चों की जिम्मेवारी है. उस जिम्मेवारी से बच्चे भाग नहीं सकते हैं. यदि बुजुर्ग माता-पिता अपनी देखभाल शारीरिक व आर्थिक रूप से नहीं कर पा रहे हैं, तो बच्चों का दायित्व है कि उनकी देखभाल करें. उन्हें हर जरूरी चीज उपलब्ध करायें. भारत सरकार ने वर्ष 2007 में मेंटेनेंस एंड वेलफेयर पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट लागू किया. यदि बुजुर्ग की देखभाल उनके बच्चे नहीं कर रहे हैं, तो बुजुर्ग एसडीएम के पास आवेदन कर सकते हैं. एसडीएम इस पर कार्रवाई करने के लिए जिम्मेवार हैं. उक्त बातें झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता कृष्ण कुमार ने कही. वे शनिवार को प्रभात खबर की ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में लोगों के सवालों पर कानूनी सलाह दे रहे थे. हजारीबाग के अवधेश चंद्र पांडेय का सवाल : 41 वर्षों से जमीन की जमाबंदी चल रही है. अपर समाहर्ता ने उसे निरस्त कर दिया है. हम क्या करें?अधिवक्ता की सलाह : देखिए, आप अपर समाहर्ता के आदेश के खिलाफ सभी दस्तावेज के साथ उपायुक्त व आयुक्त को लिखित आवेदन दें. इसके बाद भी समाधान नहीं होता है, तो आप हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर कर जमाबंदी रद्द करने के आदेश को चुनाैती दे सकते हैं. आपको न्याय जरूर मिलेगा.
खूंटी निवासी ताैकिर अंसारी का सवाल : मेरे नाम के साथ अंसारी लग गया है. इससे परेशानी होती है. शैक्षणिक प्रमाण पत्र में भी यही नाम है. मैं अपना सरनेम बदलना चाहता हूं.अधिवक्ता की सलाह : नाम या सरनेम में परिवर्तन के लिए आपको एफिडेविट करना होगा. दो अखबारों में उसका प्रकाशन करने के बाद सभी दस्तावेज के साथ राजकीय प्रेस में जमा करना होगा. उसके बाद गजट प्रकाशन होता है.
बुंडू के दिनेश प्रसाद कोइरी का सवाल : बालू का अवैध खनन व उठाव हो रहा है. इसे रोकने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री जनसंवाद से लेकर जिले के प्रशासनिक अधिकारियों को लिखित आवेदन दिया, लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो रही है.अधिवक्ता की सलाह : यह मुद्दा जनहित का है. आप सभी फोरम के पास जा चुके हैं. आप इसको लेकर झारखंड हाइकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर कर सकते हैं. कोर्ट इस पर संज्ञान ले सकता है?
हजारीबाग के राजकमल प्रसाद सिंह का सवाल : मैं अपने जीवनकाल में संपत्ति का वसीयत कर सकता हूं क्या?अधिवक्ता की सलाह : देखिए, कोई भी व्यक्ति अपने जीवनकाल में अपनी संपत्ति का वसीयत कर सकता है. वसीयत का रजिस्ट्रेशन भी होता है. इसके लिए शुल्क निर्धारित है. पावर ऑफ अटार्नी कभी भी किया जा सकता है.
मांडर के धनश्याम साहू का सवाल : वर्ष 2022 में परिवार के सदस्यों व समाज के समक्ष संपत्ति का आपसी बंटवारा हुआ था. दो माह पूर्व मां का निधन हो गया. अब भाई बंटवारा को नहीं मान रहे हैं. वे अपने हिस्से की जमीन भी बेच चुके हैं, क्या करें?अधिवक्ता की सलाह : आप आपसी समझाैते से वर्ष 2022 में हुए बंटवारा के आधार पर सिविल कोर्ट में बंटवारा वाद दायर करें?
रांची के ज्योति का सवाल : नाैकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (इडब्ल्यूएस) को 10 प्रतिशत आरक्षण मिलता है. इसके लिए इडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट जरूरी है. सीओ के पास आवेदन दिया. बार-बार टालमटोल किया जा रहा है.अधिवक्ता की सलाह : आप सर्टिफिकेट बनाने के लिए ऑनलाइन आवेदन दे चुके हैं. इसके बावजूद नहीं बनाया जा रहा है, तो इसकी लिखित शिकायत उपायुक्त के पास करें. इसके बाद भी समाधान नहीं हुआ, तो हाइकोर्ट की शरण में जा सकते हैं.
हजारीबाग के रामदेव विश्वकर्मा का सवाल : वर्ष 2012 में बेटे की शादी की थी. शादी के बाद उसी दिन लड़की के पिता उसे लेकर अपने घर चले गये. तब से वह अपने मायके में है. मेरा बेटा उससे तलाक चाहता है, क्या करें?अधिवक्ता की सलाह : 13 वर्षों से लड़की ससुराल नहीं आ रही है, तो आपका पुत्र हजारीबाग फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए आवेदन दायर कर सकता है?
इन्होंने भी पूछे सवाल : प्रभात खबर की ऑनलाइन काउंसेलिंग में नगड़ी से अनूप तिर्की, चतरा से साैरभ कुमार, रातू रोड से राजेश कुमार विश्वकर्मा, पतरातू से परमानंद अग्रवाल, बुंडू से रमेश चंद्र, कांके रोड से अनिल कुमार सहित दर्जनों लोगों ने कानूनी सलाह ली. जमीन, अपराध व फैमिली से जुड़े सवाल पूछे गये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
