Babulal Marandi: सरना कोड की चिंता है तो धर्मांतरण पर रोक लगाएं, कांग्रेस-झामुमो पर जमकर बरसे बाबूलाल मरांडी

Babulal Marandi: झारखंड बीजेपी अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मंगलवार को प्रदेश बीजेपी कार्यालय में कांग्रेस-झामुमो पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा को सरना कोड की चिंता है तो वे धर्मांतरण पर रोक लगाएं. जब सरना आदिवासियों की धर्म-संस्कृति बचेगी, तभी तो वे सरना कोड भर सकेंगे.

By Guru Swarup Mishra | May 27, 2025 8:07 PM

Babulal Marandi: रांची-झारखंड बीजेपी अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कांग्रेस-झामुमो को सरना कोड की चिंता है तो धर्मांतरण पर रोक लगाएं. सरना आदिवासी की धर्म और संस्कृति बचेगी, तभी तो वे कोड भरेंगे. बाबूलाल मरांडी मंगलवार को हरमू स्थित प्रदेश बीजेपी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.

झारखंड में 26.20 फीसदी आदिवासी-बाबूलाल


बाबूलाल मरांडी ने 2011 की जनगणना का हवाला देते हुए कहा कि झारखंड की कुल आबादी 3,29,88,134 थी. इसमें आदिवासियों की संख्या 86,45,042 थी. कुल आबादी का 26.20 प्रतिशत थी. इसमें 14,18,608 ईसाई थे. अर्थात कुल आदिवासी आबादी के 15.48 प्रतिशत लोग तब ईसाई धर्मावलंबी हो चुके थे. अगर इसे हम जातिवार और विस्तार से देखें तो उरांव में 26 प्रतिशत, मुंडा (पातर मुंडा सहित) में 33 प्रतिशत, संताल में 0.85 प्रतिशत, हो में 2.14 प्रतिशत और खड़िया में 67.92 प्रतिशत ईसाई बन चुके थे.

सरना धर्म कोड कौन भरेगा?-बाबूलाल मरांडी


बाबूलाल मरांडी ने झामुमो और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से सवाल किया कि आखिर आदिवासी ऐसे ही अपनी धर्म-संस्कृति से अलग होता गया, तो फिर सरना धर्म कोड कौन भरेगा? सरना कोड तो वही भरेगा, जो सरना स्थल, मारांग बुरू, जाहिर थान को मानेगा. ये बचेंगे, तभी तो धर्म कोड की जरूरत होगी. कहा कि अगर कांग्रेस व झामुमो को आदिवासी समाज की धर्म संस्कृति की चिंता है तो पहले इसे बचाने के लिए प्रयास करें.

आयुष्मान भारत योजना के जरिए सरकार पर हमला


बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार आयुष्मान भारत योजना की सुविधा खत्म करने में जुटी हुई है. सरकार ने प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना का नाम बदल कर ग्रामीण क्षेत्र के लिए 30 बेड के हॉस्पिटल और शहरी क्षेत्र के लिए 50 बेड की अनिवार्यता की है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के लिए यह नियम कहीं से भी उपयुक्त नहीं है. भारत सरकार के निर्णयों में 10 बेड के हॉस्पिटल का प्रावधान किया गया है. ऐसे में यह सरकार अपने निर्णयों से बड़े अस्पतालों को लाभान्वित करना चाहती है.

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