रिम्स का स्टॉक भी डगमगाया : सेनेटाइजर की जगह स्पिरिट का उपयोग करने की सलाह, मास्क का वितरण भी सीमित

कोराना वायरस से बचाव के लिए अस्पतालों में सबसे ज्यादा एहतियाती कदम उठाये जा रहे हैं. मास्क व सेनेटाइजर का उपयोग बढ़ने से राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में भी मास्क व सेनेटाइजर का स्टॉक डगमगाने लगा है.

By Pritish Sahay | March 21, 2020 2:04 AM

रांची : कोराना वायरस से बचाव के लिए अस्पतालों में सबसे ज्यादा एहतियाती कदम उठाये जा रहे हैं. मास्क व सेनेटाइजर का उपयोग बढ़ने से राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में भी मास्क व सेनेटाइजर का स्टॉक डगमगाने लगा है. नर्साेें को सेनेटाइजर के विकल्प के रूप में स्पिरिट इस्तेमाल करने को कहा जा रहा है. शुक्रवार को उपाधीक्षक डॉ संजय कुमार को नर्सों ने अपने-अपने वार्ड का डिमांड पत्र दिया, तो ज्यादा संख्या देख वह घबरा गये. नर्सों से उपाधीक्षक ने कहा कि सेनेटाइजर का स्टॉक बहुत कम है, इसलिए स्पिरिट का उपयोग कर सकते हैं. बोतल लेकर आइये व स्पीरिट लेकर जाइये.

इधर, नर्सों ने जब मास्क का डिमांड किया तो डॉ संजय ने कहा कि इतनी ज्यादा मात्रा में थ्री लेयर मास्क देना संभव नहीं है. प्रत्येक वार्ड में एक दिन में अधिकतम 100 से ज्यादा मास्क नहीं दिया जायेगा. वहीं नर्सों ने सीनियर, जूनियर व पारा मेडिकल स्टाफ की संख्या बताते हुए 100 की संख्या को कम बताया. इस पर डॉ संजय कुमार ने कहा कि होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में कैदियों द्वारा मास्क तैयार किया जा रहा है. वहां से आते ही वितरित किया जायेगा.

आेपीडी में आनेवाले मरीजों को भी खतरा : रिम्स ओपीडी में मरीजों को सामान्य फ्लू होने का खतरा भी बढ़ गया है. मरीज लाइन लगा कर आेपीडी में परामर्श लेते हैं, लेकिन उनको यह पता नहीं होता है कि उसके आगे-पीछे लाइन में लगा मरीज फ्लू से पीड़ित तो नहीं है. ऐसे में ओपीडी में आनेवाले मरीजों को भी लाइन में दूरी बना कर खड़े होने को कहा जा रहा है.

ओपीडी में 25 प्रतिशत कम हुए मरीज

पहले जहां 150 से 200 मरीज आते थे, अब 100 के करीब भी नहीं पहुंच रहे हैं

रांची . काेरोना वायरस कारण रिम्स में मरीजों की संख्या कम हो गयी है. ओपीडी में लगनेवाली भीड़ सामान्य दिनों की अपेक्षा काफी कम हो गयी है. रिम्स के डॉक्टरों की मानें तो ओपीडी में पहले से करीब 20 से 25 फीसदी मरीज कम हो गये हैं. ओपीडी में पहले जहां 150 से 200 मरीज आते थे, अब 100 के करीब भी नहीं पहुंच रहे हैं. आंकड़े के अनुसार, शुक्रवार को शिशु विभाग के ओपीडी में एक बजे तक मात्र 42 बच्चों को परामर्श दिया गया. मेडिसिन में 60 और नेत्र विभाग में 55 मरीज ही डॉक्टर से परामर्श के लिए आये. नेत्र विभाग के डॉ राहुल कुमार ने बताया कि मरीजों की संख्या ओपीडी में आधी रह गयी है.

डॉक्टरों का कहना है कि मरीजाें की संख्या कम होने पर वे संतुष्ट हैं, क्योंकि भीड़ कम होगी तो संक्रमण का खतरा कम होगा. इधर, पिछले 10 दिनों में कई विभाग के वार्ड में भर्ती मरीजों की संख्या में भी कमी आयी है. आंकड़ों की मानें तो कार्डियेक सर्जरी विभाग, स्त्री विभाग, टीबी एंड चेस्ट, पीडियाट्रिक सर्जरी, कैदी वार्ड, ट्रॉमा सेंटर, सर्जरी व जेरियेट्रिक वार्ड में मरीज कम हो गये हैं. हालांकि न्यूरो सर्जरी, कार्डियोलॉजी, हड्डी, आई, इएनटी, शिशु विभाग में मरीजों की संख्या अधिक है.

रिम्स के अलग-अलग वार्ड में भर्ती मरीजों की संख्या में भी आयी कमी

ज्यादा गंभीर मरीजों को नहीं भर्ती कर रहे डॉक्टर : रिम्स ओपीडी में परामर्श लेने आये मरीजों को डॉक्टर ज्यादा गंभीर होने पर ही वार्ड में भर्ती कर रहे हैं. वैसे मरीज, जिनको घर में रखा जा सकता है उनको दवा लिख कर भेज दिया जा रहा है. सर्जरी, शिशु सर्जरी, न्यूरो सर्जरी आदि विभाग के ओपीडी में डॉक्टर इसका ध्यान रख रहे हैं.

आंखों से भी संक्रमण का खतरा, आंख छूने से बचें : रिम्स के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ राहुल कुमार ने बताया कि कोरोना वायरस आंखों के माध्यम से भी शरीर में प्रवेश कर सकता है, इसलिए आंखों को छूने से बचें. अगर आंखें छूने की जरूरत पड़ रही है, तो रूमाल का इस्तेमाल करें. सावधानी से हम काफी हद तक बच सकते हैं.

ओपीडी में पिछले दो दिनों में मरीजों की संख्या कम हुई है. इनडोर में भी मरीज कम हो रहे हैं. काफी हद तक यह सही भी है, क्योंकि इससे संक्रमण फैलने का खतरा कम होगा.

डॉ जेके मित्रा, मेडिसिन विभागाध्यक्ष

विदेश से आये पांच लोगों का लिया सैंपल, एक का रिपोर्ट निगेटिव

रांची. रिम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा शुक्रवार को विदेश से आये पांच लोगों का ब्लड सैंपल जांच के लिए संग्रहित किया गया. तीन व्यक्तियों का ब्लड सैंपल दोपहर 12:30 बजे कुरियर से एमजीएम जमशेदपुर जांच के लिए भेज दिया गया, इनमें दो महिला व एक पुरुष शामिल हैं.

वहीं, शुक्रवार शाम को दो व्यक्तियों का ब्लड सैंपल भी जांच के लिए संग्रहित किया गया, इन्हें शनिवार को जांच के लिए एमजीएम भेजा जायेगा. गुरुवार को जिस एक व्यक्ति का ब्लड सैंपल जांच के लिए लिया गया था, उसकी रिपोर्ट निगेटिव आयी है. माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ मनोज कुमार ने बताया कि एक रिपोर्ट निगेटिव है. शाम तक कुल पांच सैंपल संग्रहित किये गये हैं. इनमें बीएयू की महिला प्रोफेसर वर्षा रानी का भी ब्लड सैंपल है. जांच रिपोर्ट आने तक महिला प्राफेसर को रिम्स के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती रखा जायेगा. वह डॉक्टरों की निगरानी में हैं.

ओपीडी में बैठनेवाले डॉक्टरों ने रिम्स उपाधीक्षक से मांगा एन-95 मास्क

रांची . रिम्स में एन-95 मास्क को सप्लायर भी उपलब्ध नहीं करा पा रहा है. इससे मरीजों काे परामर्श देनेवाले व इलाज करनेवाले डाॅक्टरों को एन-95 मास्क नहीं मिल पा रहा है. शुक्रवार को ओपीडी में परामर्श देनेवाले वैसे डॉक्टरों ने उपाधीक्षक से मिल कर एन-95 मास्क उपलब्ध कराने का आग्रह किया. डॉक्टरों का कहना है कि ओपीडी में विभिन्न बीमारी से पीड़ित मरीज परामर्श के लिए आते हैं, इसलिए उनसे बचाव व सतर्कता जरूरी है. अगर वह ही सुरक्षित नहीं रहेंगे, तो मरीजों को कैसे परामर्श दे पायेंगे. उपाधीक्षक ने शनिवार तक ओपीडी में परामर्श देनेवाले डॉक्टरों को एन-95 मास्क उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया, इसके बाद डॉक्टर गये.

रियल टाइम मशीन का इंस्टालेशन पूरा : रिम्स में कोरोना की जांच के लिए शुक्रवार को माइक्रोबायोलॉजी विभाग में रियल टाइम मशीन के इंस्टोलेशन का कार्य पूरा हो गया. वहीं मशीन के संचालन के लिए दिल्ली के वायरोलॉजी विंग से संपर्क किया गया. वहां से अनुमति मिलते ही जांच शुरू हो जायेगी.

रिनपास में इमरजेंसी मरीजों की ही होगी भरती

रांची. कोरोना वायरस को लेकर रांची इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइकेट्री एंड एलायड साइंस (रिनपास) में नये मरीजों के एडमिशन पर कड़ाई बरतने करने का निर्देश है. बहुत जरूरी होने पर ही मरीजों को एडमिट करना है. इनकी भी पहले चरण में स्क्रीनिंग करायी जा रही है.

हर दिन यहां दर्जनों नये मरीजों की भरती होते थे. अब एक-दो मरीज ही भरती हो रहे हैं. ओपीडी में मरीजों का इलाज हो रहा है. मरीजों का इलाज करने वाले चिकित्सकों को मास्क दिया गया है, लेकिन सभी कर्मियों को मास्क नहीं दिया गया है. मरीजों के सेनेटाइज करने की व्यवस्था परिसर में नहीं है. यहां मनोरोग का इलाज कराने के लिए मरीज आते हैं. इनके साथ चार-पांच परिजन भी आते हैं. राज्य ही नहीं देश के कई राज्यों के मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं.

आइसोलेशन वार्ड बनाया गया : रिनपास में भरती मरीजों को किसी तरह की परेशानी होने पर उनको आइसोलेशन में रखने की व्यवस्था की गयी है. वार्ड को सेनेटाइज कर तैयार किया गया है. वार्ड में भरती महिला और पुरुष मरीजों की हर दिन जांच हो रही है.

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