Electricity Department : बिजली विभाग के तीन बैंक खाते फ्रीज, जानें इसके पीछे की वजह

Electricity Department : 140 करोड़ की राशि वसूली के लिए कोर्ट ने बिजली विभाग के तीन बैंक खाते फ्रीज किये. कॉमर्शियल कोर्ट के स्पेशल जज की अदालत ने ये निर्देश दिया. प्रार्थी मेसर्स क्रिस्टल कंप्यूटर इनफॉर्मेटिक्स सेंटर प्रालि के मुकदमे की सुनवाई हुई.

By Amitabh Kumar | December 3, 2025 9:41 AM

Electricity Department : 15 वर्षों से बकाया राशि 140 करोड़ रुपये की वसूली करने के क्रम में मंगलवार को कॉमर्शियल कोर्ट के आदेश पर बिजली विभाग के तीन बैंक खातों को फ्रीज किया गया. उक्त कार्रवाई सिविल कोर्ट रांची के नाजिर मो जीशान इकबाल के नेतृत्व में की गयी. इससे पूर्व कॉमर्शियल कोर्ट के स्पेशल जज रवि नारायण की अदालत ने कॉमर्शियल एग्जीक्यूशन मुकदमा 98/2025 की सुनवाई करते हुए उक्त राशि की वसूली करने को लेकर बिजली विभाग के बैंक खातों को फ्रीज करने का निर्देश दिया.

बिजली विभाग का उक्त तीन बैंक खाता क्लब साइड मेन रोड, रांची स्थित बैंक ऑफ इंडिया में है. बिजली विभाग के खिलाफ थड़पखना स्थित फर्म मेसर्स क्रिस्टल कंप्यूटर इनफॉर्मेटिक्स सेंटर प्राइवेट लिमिटेड की ओर से केस किया गया है. संचालक दिनेश्वर पांडेय ने वर्ष 2014 में झारखंड माइक्रो स्मॉल इंटरप्राइजेज काउंसिल में आर्बिट्रेशन मुकदमा दर्ज कराया था. जिसकी सुनवाई करते हुए चार फरवरी 2015 को बिजली विभाग को उक्त फर्म की कुल बकाया राशि 140 करोड़ 80 लाख 29 हजार 113 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था. लेकिन आदेश पारित होने के लगभग 10 साल बीत जाने के बाद भी बिजली विभाग ने उक्त रकम का भुगतान क्रिस्टल कंप्यूटर इनफॉर्मेटिक्स सेंटर को नहीं किया. तब उक्त रकम की वसूली को लेकर क्रिस्टल कंप्यूटर इनफॉर्मेटिक्स सेंटर प्राइवेट लिमिटेड ने सिविल कोर्ट रांची स्थित कॉमर्शियल कोर्ट में एग्जीक्यूशन मुकदमा दर्ज कराया.

बैंक खाते फ्रीज होने के पीछे का क्या है कारण

बिजली विभाग द्वारा विधिवत वर्ष 2002 में क्रिस्टल कंप्यूटर इनफॉर्मेटिक्स सेंटर प्राइवेट लिमिटेड को ग्राहकों से जुड़े कार्यों को संपादित करने के लिए एजेंट के रूप में नियुक्त किया था. बिजली विभाग के निर्देश पर क्रिस्टल कंप्यूटर इनफॉर्मेटिक्स सेंटर प्राइवेट लिमिटेड को उपभोक्ताओं का मीटर रीडिंग, मीटर सर्विलेंस, बिल को तैयार कर ग्राहकों के पक्ष में वितरण करने आदि कार्यों को संपादित करने का कार्य सौंपा गया था. क्रिस्टल कंप्यूटर इनफॉर्मेटिक्स सेंटर प्राइवेट लिमिटेड ने बिजली विभाग द्वारा दिये गये निर्देश पर वर्ष 2002 से वर्ष 2010 तक उक्त कार्य का संपादन किया. लेकिन बदले में बिजली विभाग ने फर्म को पारिश्रमिक राशि का भुगतान नहीं किया. इसके बाद क्रिस्टल कंप्यूटर इनफॉर्मेटिक्स सेंटर ने वर्ष 2014 में झारखंड माइक्रो स्मॉल एंटरप्राइजेज फैसिलिटेशन काउंसिल, रांची में आर्बिट्रेशन का मुकदमा दर्ज कराया. फिर भी राशि का भुगतान नहीं किया गया, तब सिविल कोर्ट रांची में बकाया राशि की वसूली को लेकर एग्जीक्यूशन मुकदमा दर्ज कराया गया.

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