पांव पसारने में सफल नहीं हो रहे नक्सली, पांच वर्षों में 27 % कम हुई नक्सली हिंसा

सबसे ज्यादा नक्सली हिंसा छत्तीसगढ़ में, झारखंड दूसरे, बिहार तीसरे स्थान पर ... नयी दिल्ली : पिछले आठ सालों में नक्सल प्रभावित इलाकों के क्षेत्रफल में कमी आयी है. हालांकि, इस बीच नक्सली अपने पांव पसारने की कवायद में जुटे हुए हैं, लेकिन सुरक्षा बलों की चौकसी, केंद्र-राज्यों के आपसी समन्वय, राष्ट्रीय नीति और एक्शन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 29, 2019 7:13 AM

सबसे ज्यादा नक्सली हिंसा छत्तीसगढ़ में, झारखंड दूसरे, बिहार तीसरे स्थान पर

नयी दिल्ली : पिछले आठ सालों में नक्सल प्रभावित इलाकों के क्षेत्रफल में कमी आयी है. हालांकि, इस बीच नक्सली अपने पांव पसारने की कवायद में जुटे हुए हैं, लेकिन सुरक्षा बलों की चौकसी, केंद्र-राज्यों के आपसी समन्वय, राष्ट्रीय नीति और एक्शन प्लान के कारण नक्सलियों को इसमें सफलता नहीं मिल रही है.

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार द्वारा नक्सल समस्या से निबटने के लिए लागू की गयी राष्ट्रीय नीति और एक्शन प्लान के बेहतर क्रियान्वयन से देश भर में नक्सली इलाकों में काफी सुधार आया है. पिछले पांच साल में नक्सली समस्या पर काफी हद तक काबू पाया गया है. 2013 में कुल 1136 नक्सली हिंसा के मामले सामने आये थे, जबकि 2018 में यह संख्या घटकर 833 रह गया, यानि इन पांच सालों में नक्सली हिंसा में करीब 27% की कमी आयी है.

वहीं अगर नक्सली हिंसा में मारे गये लोगों पर गौर करें, तो 2013 में 397 लोग मारे गये, जो 2018 में घटकर 240 हो गया, यानि पांच साल में मौत की संख्या में भी 39% की कमी दर्ज की गयी है. हालांकि इस दौरान 10 नक्सल प्रभावित राज्यों में नक्सली हिंसा में 3749 लोग मारे गये हैं. नक्सली हिंसा और मारे गये लोगो में छत्तीसगढ़ का स्थान पहला है, जबकि झारखंड दूसरे तथा बिहार तीसरे स्थान पर है. रिपोर्ट के मुताबिक, विभिन्न नक्सली संगठनों में सीपीआइ माओवादी सबसे खतरनाक है और 88% हिंसा इसी संगठन ने की है.

2010 से 2018 तक करीब 10660 नक्सली हिंसा हुई है. इसमें अकेले छत्तीसगढ़ में 1370 लोग मारे गये. झारखंड में 3357 नक्सली हिंसा हुई और 997 लोग मारे गये, जबकि बिहार में 1526 नक्सली हिंसा में 387 लोग मारे गये. 10 नक्सल प्रभावित राज्य हैं – छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश.

वहीं, 2013 में 75 जवान मारे गये थे. 2018 में यह संख्या घट 67 हो गयी. सुरक्षा बलों के मौत के आंकड़े में 10% की कमी आयी. वहीं 2013 में सुरक्षा बलों के हाथों 136 नक्सली मारे गये थे. 2018 में यह संख्या बढ़कर 225 हो गयी. 2013 के मुकाबले 2018 में नक्सलियों को मारने की संख्या में 65% की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी.