रांची : सरकार की स्थानीयता नीति सही है : हाइकोर्ट

कोर्ट और सरकार के अहम फैसले रांची : स्थानीयता नीति के मामले में राज्य सरकार को झारखंड हाइकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. एक्टिंग चीफ जस्टिस हरीश चंद्र मिश्र व जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने शुक्रवार को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार की स्थानीयता नीति को सही ठहराया. साथ ही प्रार्थी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 21, 2019 5:50 AM
कोर्ट और सरकार के अहम फैसले
रांची : स्थानीयता नीति के मामले में राज्य सरकार को झारखंड हाइकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. एक्टिंग चीफ जस्टिस हरीश चंद्र मिश्र व जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने शुक्रवार को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार की स्थानीयता नीति को सही ठहराया.
साथ ही प्रार्थी आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की जनहित याचिका को खारिज कर दिया. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से खंडपीठ को बताया गया कि सरकार की स्थानीयता नीति उचित नहीं है. यह असंवैधानिक है. इससे स्थानीय व्यक्ति को परिभाषित नहीं किया जा सकता है.
साथ ही सरकार की स्थानीय नीति को असंवैधानिक घोषित करने का आग्रह भी किया गया था. वहीं, राज्य सरकार की अोर से अपर महाधिवक्ता मनोज टंडन ने प्रार्थी की दलीलों का विरोध किया. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि प्रार्थी का क्रेडेंशियल सही नहीं है. प्रार्थी ने याचिका हाइकोर्ट रूल्स के अनुसार दायर नहीं की है.
सरकार ने राज्य के बुद्धिजीवियों व विभिन्न राजनीतिक दलों को सुनने के बाद और पांच जजों की खंडपीठ के आदेश के आलोक में स्थानीयता नीति को लागू किया है. यह जनहित का मामला नहीं बनता है. उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने 18 अप्रैल 2016 को राज्य में स्थानीयता नीति लागू की थी.
स्थानीयता नीति के मुताबिक, 30 साल से राज्य में रह रहे लोग स्थानीयता की परिधि में आयेंगे. अर्थात 1985 और उससे पहले राज्य में रहनेवाले लोग स्थानीय होंगे. काैन स्थानीय होंगे, इसका अलग-अलग वर्गीकरण किया गया है, जिसके आधार पर स्थानीय निवासी प्रमाणपत्र बनाया जायेगा.

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