झारखंड के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने कहा: ”काला कानून” है नया मोटर व्हीकल एक्ट

रांची: झारखंड विकास मोर्चा ने आज नए मोटर वाहन एक्ट के विरोध में विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया. इस दौरान झाविमो कार्यकर्ताओं ने पार्टी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के साथ मोराबादी से अल्बर्ट एक्का चौक तक मार्च निकाला. इस दौरान झाविमो कार्यकर्ताओं ने मोटर व्हीकल एक्ट और सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की. ‘बिना सलाह के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 11, 2019 4:35 PM

रांची: झारखंड विकास मोर्चा ने आज नए मोटर वाहन एक्ट के विरोध में विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया. इस दौरान झाविमो कार्यकर्ताओं ने पार्टी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के साथ मोराबादी से अल्बर्ट एक्का चौक तक मार्च निकाला. इस दौरान झाविमो कार्यकर्ताओं ने मोटर व्हीकल एक्ट और सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की.

‘बिना सलाह के लागू किया नया मोटर व्हीकल एक्ट’

झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने बातचीत के दौरान कहा कि सरकार ने बिना किसी से सलाह मशवरा किये मनमाने ढंग से नया मोटर व्हीकल एक्ट पारित कर दिया. उन्होंने कहा कि नए कानून में जिस प्रकार से जुर्माने की राशि बढ़ाई गई है उससे आम जनता परेशान हैं. उन्होंने कहा कि जुर्माने की राशि इतना अधिक बढ़ाने का औचित्य क्या है. झाविमो अध्यक्ष ने कहा कि जब पहले से ट्रैफिक नियम तोड़ने पर जुर्माने का प्रावधान था तो फिर इसमें इतनी बढ़ोत्तरी किए जाने की क्या जरुरत है.

‘भारी जुर्माना गरीबों के घरों का बजट बिगाड़ रहा है’

नितिन गडकरी के इस बयान पर कि, जुर्माने की राशि कम होने से लोग कानून का पालन नहीं करते थे, बाबूलाल मरांडी ने कहा कि ऐसा नहीं है. लोग नियमों का पालन करें इसके लिए ट्रैफिक नियमों का सख्त होना जरूरी है. बेहतर नियंत्रण होना चाहिए था. उन्होंने कहा कि आम लोग किसी तरह से वाहन खरीदते हैं. कई लोग फाईनेंस के जरिये वाहन करते हैं. अगर ऐसे में उनपर जुर्माने का इतना बड़ा बोझ होगा तो उनका बजट बिगड़ जाएगा.

‘कानून वापस लिये जाने तक जारी रहेगा आंदोलन’

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि केंद्र सरकार का नया मोटर वाहन संसोधन विधेयक काले कानून की तरह है. उन्होंंने झारखंड सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जब दूसरे कई राज्यों ने इस कानून को लागू नहीं किया. यहां तक कि भाजपा शाषित गुजरात सरकार ने भी इसके सारे प्रावधान लागू नहीं किए हैं तो फिर झारखंड सरकार ऐसा क्यों कर रही है. उन्होंने कहा कि, मैं झारखंड की रघुवर सरकार से इस कानून को वापस लिए जाने की मांग करता हूं. सरकार जब तक ऐसा नहीं करती, आंदोलन जारी रहेगा.

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