झारखंड: 20 साल से पेयजल के लिए तरस रहे स्कूली बच्चे, जान जोखिम में डालकर कुएं या तालाब से लाते हैं पानी

स्कूल की प्रधानाध्यापिका मीना देवी व शिक्षक अनंत कुमार गुप्ता ने बताया कि स्कूल में पानी की समस्या है. मध्याह्न भोजन के लिये दूर दराज से पानी लाना पड़ता है. इसके लेकर रसोइया को काफी दिक्कत होती है. लंबे समय से स्कूल पानी की मार झेल रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 16, 2023 5:40 PM

केदला (रामगढ़), वकील चौहान. रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड अंतर्गत बसंतपुर पंचायत के बिरहोर टोला स्थित नव प्राथमिक विद्यालय में 20 वर्षों से पानी की गंभीर समस्या है. स्कूल में करीब 40 बच्चे हैं. बच्चों को पानी के लिए पास के तालाब या कुएं पर जाना पड़ता है. ऐसे में बच्चों के साथ अप्रिय घटना घटने की आशंका बनी रहती है. स्कूल में एक चापाकल व डीप बोरिंग करायी गयी थी. जलस्तर नीचे चले जाने के कारण ये बेकार साबित हो गये. मुखिया सरिता देवी ने कहा कि स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने समस्या से अवगत करया है. विभागीय अधिकारी से बात कर समस्या को जल्द ही दूर किया जायेगा.

मिड डे मील के लिए दूर से लाते हैं पानी

बच्चों व शिक्षकों को शौच के लिये डब्बे से कुआं या तालाब से पानी लाना पड़ रहा है. इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठने से बच्चों व शिक्षकों में मायूसी है. इस संबंध में स्कूल की प्रधानाध्यापिका मीना देवी व शिक्षक अनंत कुमार गुप्ता ने बताया कि स्कूल में पानी की समस्या है. मध्याह्न भोजन के लिये दूर दराज से पानी लाना पड़ता है. इसके लेकर रसोइया को काफी दिक्कत होती है. लंबे समय से स्कूल पानी की मार झेल रहा है. उन्होंने ने कहा कि स्कूल में पास के तालाब से पाइपलाइन के माध्यम से स्कूल में पानी पहुंच सकता है. दूसरा कोई व्यवस्था नहीं दिख रही है. इसके लिये विभागीय अधिकारी को गंभीर होना पड़ेगा.

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मुखिया ने दिया भरोसा

स्कूल के पास पानी का लेयर काफी नीचे चला गया है. यही वजह है कि चापाकल व डीप बोरिंग विफल साबित हो रही है. मुखिया सरिता देवी को स्कूल के बाउंड्री व पानी की समस्या दूर करने के लिए आवेदन दिया गया है. साथ ही प्रखंड के अधिकारियों को कई बार आवेदन दिया गया है. इसके बाद भी समस्या बनी हुई है. पंचायत की मुखिया सरिता देवी ने कहा कि स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने समस्या से अवगत करया है. जिला व प्रखंड से विभागीय अधिकारी से बात कर समस्या को जल्द ही दूर किया जायेगा, ताकि बच्चों व स्कूल के शिक्षकों को परेशानी नहीं हो.

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