धूमधाम के साथ मनायी जाती है विश्वकर्मा पूजा

झारखंड राज्य का रामगढ़ जिला प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र के रूप में अपना स्थान रखता है.

By VIKASH NATH | September 16, 2025 8:00 PM

बनते हैं पंडाल, सजते हैं तोरण द्वार, होते हैं सांस्कृतिक कार्यक्रम, भंडारे भी लगता है भुरकुंडा. झारखंड राज्य का रामगढ़ जिला प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र के रूप में अपना स्थान रखता है. यहां जिंदल स्टील प्लांट, पीवीयूएनएल, सीसीएल सहित दर्जनों स्पंज व सीमेंट फैक्ट्री स्थापित है. इसके अलावा कई बड़े-बड़े वर्कशॉप भी मौजूद है. जिसके कारण यहां विश्वकर्मा पूजा काफी धूमधाम से मनायी जाती है. सृष्टि के प्रथम शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा पूरे देश में 17 सितंबर को मनायी जाती है. लेकिन इसकी तैयारी दो-तीन दिन पहले से ही शुरू हो जाती है. पूजा पंडाल, तोरण द्वार बन गये हैं. मंगलवार की देर शाम तक मशीनों की साफ-सफाई, पूजा स्थल की सजावट का काम जोरशोर से हो रहा है. बुधवार को बड़े औद्योगिक संस्थान, फैक्ट्री, वर्कशॉप सहित धार्मिक आस्था रखने वाले सैकड़ों लोगों द्वारा भगवान विश्वकर्मा की पूजा विधि-विधान से की जायेगी. इसके बाद प्रसाद वितरण देर शाम तक अनवरत चलता रहेगा. कई जगहों पर पूजा के अगले दिन भंडारे का भी आयोजन किया जाता है. जिसमें श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं. भगवान विश्वकर्मा का दर्शन करने व प्रसाद ग्रहण करने के लिए लोग परिवार के साथ पहुंचते हैं. जिसका मुख्य कारण होता है कि पूजा के दिन फैक्ट्री परिसर में आमलोगों के प्रवेश की अनुमति होती है. लोग अपने बच्चों को कौतुहल से फैक्ट्री की बारीकियों को समझाते हैं. यह परंपरा पांच दशक से भी ज्यादा पुरानी है. उस जमाने में एशिया प्रसिद्ध भदानीनगर की ग्लास फैक्ट्री, बासल फैक्ट्री व पतरातू थर्मल पावर स्टेशन लोगों के लिए पूजा के दिन खुला रहता था. तबसे ही यहां परिवार के साथ पूजा के दिन यहां घूमने की परंपरा चली आ रही है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से लोग सुरक्षित रहते हैं. ऐसी मान्यता है कि औद्योगिक संस्थानों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा होने से दुर्घटना का खतरा टलता है. यह दिन उपकरणों, मशीनों व औजारों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का भी दिन है, जो हमारी आजीविका व प्रगति का साधन बनते हैं. कुल मिलाकर विश्वकर्मा पूजा भारतीय संस्कृति में कर्म, कला व विज्ञान के सम्मान का एक जीवंत प्रतीक बना हुआ है.

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