शिक्षा और इंसानियत की मिसाल: रामगढ़ के प्राचार्य सुरेंद्र गुप्ता को राज्य शिक्षक सम्मान
Teacher Day Special: रामगढ़ के पीएमश्री अपग्रेडेड हाई स्कूल, मनुआ के प्राचार्य सुरेंद्र कुमार गुप्ता को आज शिक्षा और मानवीय योगदान के लिए राज्य शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है. उन्होंने गरीब, दिव्यांग और अनाथ बच्चों को स्कूल से जोड़ा और शिक्षा के क्षेत्र में मिसाल कायम की.2017 में मॉब लिंचिंग में मारे गए बच्चों को गोद लेकर निःशुल्क शिक्षा और जरूरतमंद बच्चों का इलाज भी करवाया.
Teacher Day Special: रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड स्थित पीएमश्री अपग्रेडेड हाई स्कूल, मनुआ के प्राचार्य सुरेंद्र कुमार गुप्ता को आज शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्य शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा. शिक्षा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान, गरीब, दिव्यांग और अनाथ बच्चों को स्कूल से जोड़ने तथा स्कूल को स्वच्छता के पैमाने पर मिसाल बनाने के लिए यह सम्मान दिया जा रहा है.
हर बच्चे को शिक्षा दिलाने का सराहनीय प्रयास
सुरेंद्र गुप्ता ने कहा कि उन्होंने हमेशा से बच्चों को शिक्षा दिलाने का हर संभव प्रयास किया है. हजारों की संख्या में ऐसे बच्चों को शिक्षा से जोड़ा है, जो अनाथ, दिव्यांग और आर्थिक रूप से कमजोर हैं. वे न केवल बच्चों को पढ़ाते हैं, बल्कि उनका भविष्य भी संवारते हैं. उनके कई छात्र आज विदेशों में और देश के प्रतिष्ठित कंपनियों में कार्यरत हैं.
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अब तक मिल चुके हैं 43 अवार्ड
सुरेंद्र गुप्ता को इससे पूर्व भी कई सम्मान मिल चुके हैं. उनके नेतृत्व में स्कूल को 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास से स्टेट बेस्ट स्वच्छता अवार्ड और 1 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि मिली. वहीं, 2022 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विद्यालय को मुख्यमंत्री स्वच्छता पुरस्कार और 2 लाख रुपये दिए.
शिक्षा और आदिवासी बच्चों के कल्याण के क्षेत्र में किए गए कार्यों के लिए उन्हें 2018 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी सम्मानित किया था. इतना ही नहीं, नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने भी 2022 में उन्हें ग्लोबल एजुकेशन अवार्ड प्रदान किया था. इन सभी को मिलाकर सुरेंद्र गुप्ता को कुल 43 अवार्ड मिले हैं.
मानवीय पहल भी सराहनीय
सुरेंद्र गुप्ता ने सिर्फ शिक्षा में ही नहीं बल्कि मानवीय कामों में भी मिसाल पेश की है. 2017 में रामगढ़ मॉब लिंचिंग में मारे गए अलामुद्दीन के चार बच्चों को उन्होंने गोद लेकर निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध करायी. इसके अलावा, राजकुमार बेदिया नामक बच्चे का दोनों फेफड़ा खराब हो गया था. सुरेंद्र गुप्ता ने लोगों से दान जुटाकर बच्चे का करीब दो साल तक दिल्ली में इलाज करवाया और उसका पूरा खर्चा स्वयं देखभाल कर प्रदान किया. सुरेंद्र गुप्ता के ये कार्य समाज के लिए प्रेरणादायक हैं और उनकी शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता के साथ मानवीय योगदान को भी उजागर करते हैं.
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