लोक परंपरा को जीवित रखे हैं हुसैनाबाद के कुशा गांव के नवयुवक
लोक परंपरा को जीवित रखे हैं हुसैनाबाद के कुशा गांव के नवयुवक
जीतेंद्र प्रसाद, हुसैनाबाद आधुनिकता और बदलती जीवनशैली ने हमारी लोक परंपराओं को धीरे-धीरे हाशिए पर धकेल दिया है. तकनीकी युग और मोबाइल के बढ़ते प्रभाव ने नयी पीढ़ी को लोक गीत, लोकनृत्य, नाट्यकला, बहुरुपिया जैसी सांस्कृतिक विरासत से दूर कर दिया है. इन्हीं परंपराओं में एक है गांव की नौटंकी-जो कभी पूजा-पर्व, शादी-विवाह और अन्य अवसरों पर लोगों के मनोरंजन का प्रमुख साधन हुआ करती थी. नौटंकी की विशेषता नौटंकी में संवादों को संगीत के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है. यह कला अब धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है, लेकिन हुसैनाबाद प्रखंड के पथरा पंचायत स्थित कुशा नारायणपुर गांव में इसे जीवित रखने का अनूठा प्रयास जारी है. ग्रामीणों के अनुसार, यह आयोजन लगभग 60 वर्षों से निरंतर होता आ रहा है. कोरोना काल में यह परंपरा कुछ वर्षों के लिए बाधित हुई थी, लेकिन अब फिर से पूरे उत्साह के साथ शुरू हो चुकी है. कलाकारों की भागीदारी इस आयोजन में गांव के ही कलाकार नायक, खलनायक और नायिका की भूमिका निभाते है. सभी पुरुष कलाकार ही विभिन्न पात्रों को साकार करते हैं. पहले इस आयोजन को देखने के लिए आसपास के 5-6 किलोमीटर दूर से दर्जनों गांवों के लोग आते थे. उस समय हास्य कलाकार शिक्षक स्वर्गीय दुखी राम की प्रस्तुति विशेष आकर्षण होती थी. आज भी उनकी हास्य कला की चर्चा होती है, जिसे उनके पुत्र वीरेंद्र राम आगे बढ़ा रहे हैं. उनका मानना है कि बाहरी कलाकारों को बुलाने की बजाय गांव के लोग मिलकर ही मनोरंजन का यह आयोजन करते हैं. इस वर्ष दुर्गा पूजा के अवसर पर सप्तमी, अष्टमी और नवमी की रातों में नौटंकी की प्रस्तुति की जायेगी. इसके लिए कई दिनों से रिहर्सल चल रहा है. कलाकारों को रात में प्रस्तुति की रूपरेखा दी जाती है. इस बार गणेश राम, इंदल कुमार, छटन राम, सुनील सिंह, संजीव कुमार, प्रेमनाथ, मंगल ठाकुर जैसे अनुभवी कलाकारों के साथ दीना, धीरज, आकाश, रौशन, धीरंजन गौतम, गुलशन जैसे नए चेहरे भी म च पर नजर आयेंगे. सेवानिवृत्त शिक्षक सुदर्शन राम इस गांव के नौटंकी ग्रुप का महत्वपूर्ण भूमिका में थे. तकरीबन 30 वर्षों तक रंगमंच से जुड़े रहे.राइटर से लेकर डायरेक्टर तक की भूमिका निभायी. कॉमेडी में भी इनकी अलग पहचान थी. अब अस्वस्थ हो चुके हैं. वह कहते हैं कि इसके माध्यम से ग्रामीण प्रतिभा निखारने का प्रयास जारी है. हालांकि अब नवयुवकों में महावीर चंद्रवंशी बीते 57 वर्षों से नौटंकी में किरदार निभाते आ रहे हैं. इस बार भी वह भाग ले रहे हैं. उनका कहना है कि गांव के रिश्ते में नाती-पोता, भतीजों के साथ भाग लेने पर अच्छी अनुभूति होती है. अनुभवी लोगों से सीखने का अवसर मिलता है. सारे लोग एक मंच पर होते हैं. आपसी तालमेल व समन्वय स्थापित होती है. गांव की परंपरा को आगे बढ़ाने का कार्य जारी रहेगा. नवयुवकों को प्रेरित करने का काम जारी है. 30 वर्षों से अभिनय में भाग ले रहे हैं. बतौर निदेशक उनका कहना है की रिहर्सल सह प्रशिक्षण के माध्यम से इस लोक कला के प्रति युवाओं की प्रेरित करने का काम जारी है. युवाओं में अब सीखने की ललक नहीं रही. फिर भी जो हैं वह सराहना के पात्र हैं. उनका कहना है कि नौटंकी महज मनोरंजन का ही साधन नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से अंधविश्वास, दहेज उन्मूलन के लिए जागरूक भी किया जाता है. इस बार गुलशन कुमार पहली बारमंच पर कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे. उन्होंने स्त्री का किरदार निभाया है.उनका कहना है कि किरदार जो भी हो, अभिनय की प्रस्तुति मायने रखता है. उन्होंने कहा कि मंचीय सहभागिता से आत्मविश्वास बढ़ता है.जो सफलता का मूल मंत्र है.
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