पारंपरिक मिठाइयों की खुशबू से महकता पलामू
पलामू की मिठास की पहचान, स्वाद जो दिल में बस जाए
पलामू की मिठास की पहचान, स्वाद जो दिल में बस जाए
पलामू अपने पारंपरिक और लजीज मीठे व्यंजनों के लिए लंबे समय से प्रसिद्ध रहा है. यहां की मिठाइयां न सिर्फ झारखंड, बल्कि बिहार और उत्तर प्रदेश तक लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. प्राकृतिक तरीके से तैयार की जाने वाली इन मिठाइयों में स्वाद, सुगंध और कारीगरी का ऐसा अद्भुत संगम देखने को मिलता है कि एक बार चखने वाला इसकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाता. मित्रों और परिजनों के साथ इन मिठाइयों को खाने का आनंद और संतुष्टि लोगों के दिलों में लंबे समय तक बस जाती है. जिले के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरह की पारंपरिक मिठाई बनायी जाती हैं, जिनका बड़े पैमाने पर उत्पादन और खरीद-बिक्री होती है. कलाकंद, खीरमोहन, गुड़ के लड्डू, गुलाब जामुन, रसमलाई, जलेबी, लकठो, छेना मुरकी जैसी मिठाइयां अपनी अनूठी मिठास और देसी स्वाद के कारण खास पहचान रखती है. खासकर त्योहारों और विशेष अवसरों पर इनकी मांग कई गुणा बढ़ जाती है.चावल के पाउडर और बेसन से बनी झरुआ लड्डू, लकठो और चीनी से तैयार बताशा भी पलामू की पारंपरिक मिठाइयों में शामिल हैं, जिनके शौकीन आज भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं।
खीरमोहन, गुड़-छेना के स्वाद का अनोखा संगमतरहसी में तैयार होने वाला खीरमोहन लोगों की पहली पसंद बना हुआ है. इस मिठाई की खासियत यह है कि इसे शुद्ध गुड़ और छेना (पनीर) से तैयार किया जाता है. गांव के दूध से बने छेना और गांव में ही निर्मित गुड़ का उपयोग इसे खास स्वाद देता है. इस मिठाई की शुरुआत वर्षों पहले भगवान साव ने की थी. लंबे समय से इसके स्वाद और बनावट में कोई बदलाव नहीं आया है. तरहसी और आसपास के इलाके, जैसे सगालिम, परसाई, मौझौली, ओरिया और घुमा अमानत नदी के किनारे बसे हैं, जहां की मिट्टी गन्ने की खेती के लिए बेहद उपयुक्त मानी जाती है. यहां तैयार होने वाला गुड़ दूर-दूर तक प्रसिद्ध है. उसी शुद्ध गुड़ से बने खीरमोहन को खरीदने के लिए लोग दूर-दराज से तरहसी पहुंचते हैं.
नावाबाजार का पेड़ा, नाम सुनते ही आ जाता है मुंह में पानीपलामू के खास व्यंजनों में नावाबाजार का पेड़ा अपनी अलग पहचान रखता है. मेदिनीनगर-औरंगाबाद मार्ग से गुजरने वाले यात्री यहां से पेड़ा खरीदना नहीं भूलते. शुद्ध दूध और गुड़ से तैयार इस पेड़ा को लोग पलामू का पेड़ा कहकर पहचानते हैं. बाहर रहने वाले लोग भी यहां से पेड़ा लेकर जाना पसंद करते हैं, क्योंकि यह दो से चार सप्ताह तक खराब नहीं होता. वर्ष 1996 में महेंद्र चंद्रवंशी ने पेड़ा बनाने का काम शुरू किया था। आज करीब 30 वर्षों में झुग्गी से शुरू हुआ यह सफर होटल-रेस्टोरेंट तक पहुंच चुका है. रांची, पटना, दिल्ली जैसे शहरों में रहने वाले लोग यहां से नियमित रूप से मिठाई का पार्सल मंगवाते हैं.
तुंबागड़ा का कलाकंद रुकने को मजबूर कर देता हैपलामू के तुंबागड़ा का कलाकंद झारखंड समेत आसपास के इलाकों में काफी मशहूर है. दूध और पनीर से विशेष प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाने वाला यह कलाकंद स्वाद और बनावट में अलग पहचान रखता है. हाइवे किनारे मिलने के कारण यात्रियों के बीच इसकी खास लोकप्रियता है. रांची जाने या वहां से लौटने वाले लोग तुंबागड़ा में वाहन रोककर कलाकंद का स्वाद चखना नहीं भूलते. अन्य मिठाई की तुलना में यह ज्यादा दिनों तक खराब नहीं होता, जिससे लोग इसे दूर तक ले जाना पसंद करते हैं.
हरिहरगंज का गुड़ लड्डू, इलाके की पहचानहरिहरगंज से औरंगाबाद मार्ग पर गुड़ से बने लड्डू लोगों की जुबान पर चढ़े रहते हैं.वर्षों से यहां पारंपरिक तरीके से गुड़ के लड्डू तैयार किये जा रहे हैं. हरिहरगंज प्रखंड के पूर्णाडीह गांव और पीपरा प्रखंड के मसूरिया क्षेत्र में तैयार होने वाला गन्ने का गुड़ अपनी शुद्धता, मिठास और खुशबू के लिए जाना जाता है. यहां गन्ने की खेती किसानों की आजीविका का प्रमुख साधन है। खेतों से ताजे गन्ने को सीधे कोल्हुओं तक लाया जाता है, जहां बिना किसी मिलावट के गुड़ तैयार किया जाता है. पूर्णाडीह और मसूरिया का गुड़ न सिर्फ घरेलू उपयोग, बल्कि छठ पूजा, त्योहारों, शादी-ब्याह जैसे मांगलिक अवसरों पर भी खास मांग में रहता है.
पांडू का लकठो और बतासा, हर घर की पसंदपांडू प्रखंड क्षेत्र में लकठो, बतासा और खुर्मा मिठाई काफी प्रसिद्ध है. यह मिठाई क्षेत्र के लगभग सभी होटलों और बाजारों में उपलब्ध रहती है. त्योहारों और विशेष अवसरों पर लगभग हर घर में यह मिठाई देखने को मिलती है. छोटे-बड़े बाजारों में इसकी जमकर बिक्री होती है और यह क्षेत्र के लोगों की पहली पसंद बनी हुई है.
सिंघाड़ा महाराज का समोसा, स्वाद जो याद रह जाएपलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर में सिंघाड़ा महाराज का समोसा लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय है. वैसे तो जिलेभर में समोसे की बिक्री होती है, लेकिन मेदिनीनगर का समोसा अलग ही पहचान रखता है. पलामू, गढ़वा और लातेहार जिलों से लोग यहां पहुंचकर इसका स्वाद लेते हैं. सुबह से शाम तक समोसा खाने वालों की भीड़ लगी रहती है. कई लोग पैक कराकर भी ले जाते हैं. इसके अलावा शहर के विभिन्न इलाकों में लिट्टी-चोखा, धुस्का, इडली, मोमोज, चाट, पानीपुरी और चाइनीज फूड के भी शौकीन बड़ी संख्या में देखे जा सकते हैं.
रसगुल्ला, काला जामुन और गुड़ का बालूशाही है प्रसिद्धबिश्रामपुर नगर परिषद के बी मोड़ स्थित बाबू स्वीट्स रसगुल्ला व कालाजामुन के लिए काफी प्रसिद्ध है.दूर दूर से लोग यहां से रसगुल्ला व कालाजामुन खाने आते हैं.इसके अलावा घर के लिए भी पैक करा कर ले जाते हैं.दुकान के मालिक बाबू भाई ने बताया कि रसगुल्ला व कालाजामुन के मधुर स्वाद ने ही हमारे दुकान को प्रसिद्धि और एक अलग पहचान दिलायी है. बी मोड़ चौक पर स्थित महेंद्र साव का एक दुकान है. जिसका गुड़ का बना बालूशाही और लखठो भी काफी मशहूर है.
हुसैनाबाद का फेमस है लवंगलताहुसैनाबाद अनुमंडल क्षेत्र का आनंद स्वीट्स का लवंगलता, रसगुल्ला काफी फेमस है.यह मिठाई अपने लाजवाब स्वाद की वजह से सिर्फ स्थानीय लोगों के अलावा जपला शहर में आने वाले दूर, दराज के ग्राहक भी इस मिठाई का स्वाद लेने के लिए शहर के आंबेडकर चौक खींचे चले आते हैं.इसकी शुरुआत आनंद साव द्वारा किया गया था. वर्षों बीत जाने के बाद भी इसके स्वाद में कोई कमी नहीं आयी है.
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