बेजुबान धड़कनों को बचाने में जुटी पलामू की बेटियां, वर्ल्ड लाइफ रेस्क्यू टीम बनाकर कर रहीं काम

palamu girls saving lives of snakes as world life rescue team मेदिनीनगर (सैकत चटर्जी) : बरसात के मौसम में इंसान तो परेशान होते ही हैं, जानवर भी कम परेशान नहीं होते. खासकर सांप. इनके लिए तो उमस भरा यह मौसम मौत का कारण बन जाता है. एक तो बिलों में पानी घुस जाता है. फिर धूप की वजह से इतना उमस हो जाता है कि बिल के अंदर उनसे रहा नहीं जाता.

By Prabhat Khabar Print Desk | August 21, 2020 8:13 PM

मेदिनीनगर (सैकत चटर्जी) : बरसात के मौसम में इंसान तो परेशान होते ही हैं, जानवर भी कम परेशान नहीं होते. खासकर सांप. इनके लिए तो उमस भरा यह मौसम मौत का कारण बन जाता है. एक तो बिलों में पानी घुस जाता है. फिर धूप की वजह से इतना उमस हो जाता है कि बिल के अंदर उनसे रहा नहीं जाता.

इसलिए उन्हें मजबूरन बिल से बाहर आना पड़ता है और यहां उनका सामना इंसान, पंछी और अन्य शत्रु जानवरों से हो जाता है. सांप अक्सर भटककर या भोजन की तलाश में इंसान के करीब आ जाते हैं. अपने घरों के आस-पास सांप को देखते ही कोई भी व्यक्ति सहम सा जाता है. डर जाता है.

बिना यह जाने कि सांप जहरीला है या नहीं, उस पर हमला करके लोग उसे मार डालते हैं. लोगों को मालूम होना चाहिए कि सांप इको सिस्टम का महत्वपूर्ण अंग हैं. अब इन सांपों को बचाने के लिए पलामू की बेटियों ने कमर कस ली है.

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पलामू टाइगर रिजर्व में काम करने वाली ज्योति कुमारी पिछले कई सालों से अनाथ जानवरों, घायल पंछी, इंसानी इलाकों में फंसे सांपों को बचाकर जंगलों में छोड़ने का काम कर रही हैं. अब कई लड़कियां उनके साथ जुड़ चुकी हैं और उनके काम में मदद कर रही हैं.

दिव्या भारती और मालती स्वासी चैनपुर और कुंदरी वन क्षेत्र में कार्यरत हैं, जबकि अंशिका श्रीवास्तव और सलोनी सिंह, सलोनी कुमारी अधिकारी फाउंडेशन फॉर नेचर कंजर्वेशन की सदस्य हैं. इस टीम में कई फॉरेस्ट गार्ड भी शामिल हैं.

वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू टीम बनाकर काम कर रही हैं, जिसमें एफएनसी के सदस्य तथा वन विभाग के कुछ अधिकारी और कर्मचारी भी उनकी मदद करते हैं. यह टीम सूचना मिलते ही सांप तथा अन्य वन्य प्राणियों, जो कहीं इंसानों के बीच फंस जाते हैं, उनका रेस्क्यू कर उन्हें जंगल में छोड़ आती है.

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रेस्क्यू के बाद जिन प्राणियों को इलाज की जरूरत होती है, उनका इलाज भी किया जाता है. स्वस्थ होने पर उन्हें उचित जगह पर छोड़ दिया जाता है. इलाज का काम पशु चिकित्सक और हजारीबाग के वन्य प्राणी विशेषज्ञ सत्यप्रकाश तथा मुरारी सिंह की सलाह से किया जाता है.

टीम के जरिये अभी तक 50 से अधिक सांप, गोह, 200 से अधिक पक्षी, कई घायल व भटके हुए पशुओं को बचाया गया है. इस संबंध में ज्योति कहती है. हम इंसान अपनी गलत हरकतों से बेजुबान जानवरों की धड़कनें बंद कर देते हैं. यह उचित नहीं है. वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू टीम इन्हीं बेजुबान धड़कनों को इंसानी हरकतों से बचाने की मुहिम है.

Posted By : Mithilesh Jha

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