सावन माह की पूर्णिमा पर मंदिरों में उमड़े श्रद्धालु, पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की

सावन माह की पूर्णिमा पर मंदिरों में उमड़े श्रद्धालु, पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की

By SHAILESH AMBASHTHA | August 9, 2025 10:24 PM

मेदिनीनगर. पवित्र सावन माह की पूर्णिमा व रक्षा बंधन उत्सव पलामू जिले में धार्मिक उल्लास के बीच मनाया गया. जिले के शहरी व ग्रामीण इलाकों में स्थित मंदिरों में पूजा अनुष्ठान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. लोगों ने मंदिरों में पूजा-अर्चना कर सुखमय जीवन की कामना किया. सावन पूर्णिमा के दिन जिला मुख्यालय मेदिनीनगर शहर के विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. सभी मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालु पहुंचे थे. रक्षा बंधन के पूर्व लोगों ने मंदिर में आकर पूजा-अर्चना कर अपने और अपने परिजनों के सुखमय जीवन के लिए ईश्वर से कामना की. छहमुहान स्थित काली मंदिर के पुजारी सुरेश शास्त्री ने कहा कि हाल के दिनों में इस तरह की परंपरा विकसित हुई है, जब किसी सुअवसर पर लोग अधिक संख्या में मंदिर में पहुंच रहे हैं. लोगों में अपने धर्म के प्रति आस्था बढ़ी है. जब ईश्वर के प्रति लोगों का आस्था व समर्पण बढेगा तो समाज के अंदर भी सदाचार आयेगा. लोगों में बढ़ रही आस्था समाज के लिए सकारात्मक संकेत है. पहले यह देखा जाता था कि युवाओं का झुकाव पूजा के प्रति कम था, लेकिन अब के दौर में युवा भी ऐसे अवसरों पर मंदिर में आकर पूजा कर रहे हैं और नतमस्तक होकर जीवन में खुशहाली की कामना कर रहे हैं. पहले यह कहा जाता था, पूजा-पाठ की उम्र होती है, लेकिन अब वह धारणा बदल रही है. बच्चे, युवा से लेकर बूढ़े तक अपने-अपने तरीके से पूजा-अनुष्ठान में शामिल हो रहे हैं. शहर के रेडमा काली मंदिर, छहमुहान महावीर मंदिर, बाजार स्थित महावीर मंदिर, शिवाला घाट स्थित शिव मंदिर, महावीर मंदिर,रेड़मा कामनापूर्ति मंदिर, ठाकुरबाड़ी, मां अष्टभुजी मंदिर,शिव शक्ति धाम,सुदना प्राचीन देवी मंडप, गायत्री मंदिर के अलावा मुहल्ले के मंदिरों में भी पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गयी. कई मंदिरों में पूर्णिमा के अवसर पर सुंदर कांड के पाठ का आयोजन किया गया. वहीं लोगों ने अपने घरों में भी विशेष पूजा अनुष्ठान का आयोजन किया. सावन पूर्णिमा के अवसर पर कई लोगों ने धार्मिक ग्रंथों का पाठ व वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन यज्ञ किया. कई लोगों ने भगवान सत्यनारायण स्वामी की पूजा करने के बाद कथा का रसास्वादन किया. इस प्रकार धार्मिक उल्लास के बीच सावन पूर्णिमा व रक्षाबंधन उत्सव मनाया गया.

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