धार्मिक आस्था का केंद्र सतबहिनी मंदिर, जहां मनोकामना होती है पूरी

धार्मिक आस्था का केंद्र सतबहिनी मंदिर, जहां मनोकामना होती है पूरी

By SHAILESH AMBASHTHA | September 22, 2025 10:41 PM

लोहरदगा़ कैरो और कुड़ू प्रखंड की सीमा पर कैरो–कुड़ू मुख्य पथ पर स्थित सुकरहुटु पतरा में माता सतबहिनी की पूजा स्थल काफी विख्यात है. यहां पूजा-अर्चना करने वालों की मनोकामना पूरी होने की मान्यता है. स्थानीय लोगों के अनुसार इस दैवीय स्थल पर सैकड़ों वर्षों से श्रद्धालु पूजा करते आ रहे हैं. हालांकि, लोगों को यह पता नहीं है कि पूजा-अर्चना की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई थी. शुरुआत में श्रद्धालु स्वयं ही माता को दूध, जल, धूप, अगरबत्ती और नारियल चढ़ाकर पूजा करते थे. उस समय यहां कोई पुरोहित नहीं था और मंदिर का परिसर पूरी तरह खुला हुआ था. मंदिर का विकास : तत्कालीन सांसद ललित उरांव ने अपने मद से मंदिर की चहारदीवारी करायी. इसके बाद मवेशियों और पशुओं का मंदिर परिसर में आना-जाना बंद हुआ. धीरे-धीरे मंदिर की ख्याति बढ़ती गयी. श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां मां की कृपा से मनोकामना पूरी होती है. इसी विश्वास के साथ आजसू पार्टी से विधायक पद के उम्मीदवार रहे कमल किशोर भगत ने माता के दरबार में मत्था टेका था. उन्हें आशीर्वाद प्राप्त हुआ और वे विधायक बने. विधायक बनने के बाद उन्होंने वर्ष 2014 में मंदिर की चहारदीवारी को ऊंचा कराया. भक्ति और परंपराएं : वर्तमान समय में इस मंदिर में बकरे की बली की परंपरा भी शुरू हो गयी है. जिनकी मनोकामना पूरी होती है, वे मन्नत के अनुसार बकरे की बली चढ़ाते हैं. साथ ही यह स्थल शादी-विवाह के आयोजन के लिए भी काफी लोकप्रिय है. दूर-दूर से यहां वर-वधू पक्ष के लोग पहुंचकर विवाह संपन्न करते हैं. लगभग दस वर्षों से यहां पुरोहित गोपाल शर्मा पूजा-अर्चना करा रहे हैं. माता सतबहिनी के द्वार पर कैसे पहुंचे : मंदिर तक पहुंचना भी अपेक्षाकृत आसान है. लोहरदगा से कुड़ू-टाटी होकर 30 किमी, कुड़ू से 10 किमी, वहीं, चट्टी से 17 किमी तथा भंडरा से कैरो होकर 15 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है. रेलमार्ग से आने वाले श्रद्धालु नगजुवा या आकाशी स्टेशन उतर सकते हैं. दोनों स्टेशनों से मंदिर तक ऑटो की व्यवस्था उपलब्ध है.

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