बारिश से किसानों को मिली राहत, हिसरी पंचायत में धान रोपनी शुरू
हाल की बारिश ने जहां कुछ क्षेत्रों में आफत मचायी, वहीं हिसरी पंचायत के किसानों के लिए यह राहत लेकर आयी है.
फोटो रोपनी कार्य करते किसान किस्को. हाल की बारिश ने जहां कुछ क्षेत्रों में आफत मचायी, वहीं हिसरी पंचायत के किसानों के लिए यह राहत लेकर आयी है. जिन किसानों का धान का बिचड़ा पहले से तैयार था, उन्होंने खेतों में पानी भरते ही धान की रोपनी शुरू कर दी है. हिसरी, मेरले और आसपास के गांवों में किसान तेजी से खेतों में जुटे हुए हैं. किसान राजकेश्वर साहू, बबलू साहू, अरुण साहू, मनोज उरांव, जयवंत कुजूर, बृज साहू, राजू उरांव, शिव उरांव, सत्यनारायण उरांव, सनीचरवा उरांव, निशि उरांव सहित कई किसानों ने वृहद पैमाने पर रोपनी कार्य प्रारंभ कर दिया है. इन किसानों ने पहले ही बाड़ी में सब्जी की खेती के साथ पटवन कर बिचड़ा तैयार कर लिया था. खेतों की तैयारी और अन्य फसलें जहां कुछ किसान रोपनी में लगे हैं, वहीं कई किसान अभी खेतों की जुताई में जुटे हैं. ट्रैक्टरों से खेतों की जुताई का कार्य तेजी से चल रहा है. इसके साथ ही किसान मकई, मड़ुवा और बादाम जैसी वैकल्पिक फसलों की ओर भी रुख कर रहे हैं. सरकार द्वारा इन फसलों के बीज का वितरण भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. चुनौतियां भी कम नहीं हालांकि, जिन किसानों ने देर से बिचड़ा डाला था, उनका बिचड़ा अभी तैयार नहीं हुआ है. लगातार बारिश के कारण कई किसानों का बिचड़ा सड़ गया है, जिससे उन्हें दोबारा बीज डालना पड़ रहा है। इससे रोपनी में देरी हो रही है और लागत भी बढ़ रही है. मजदूरों की कमी और बढ़ती मजदूरी भी किसानों के लिए चिंता का विषय है. धान रोपनी के लिए मजदूरी 300 से 400 रुपये प्रतिदिन तक पहुंच गई है, जिससे किसानों की जेब पर असर पड़ रहा है. कृषि वैज्ञानिक की सलाह कृषि वैज्ञानिक हेमंत कुमार पांडेय ने किसानों को सलाह दी है कि तैयार बिचड़े को डूबने से बचायें और मेड़ काटकर अतिरिक्त पानी निकालें. जिनका बिचड़ा तैयार नहीं है, वे खेतों को तैयार करें और मजबूत मेड़बंदी करें ताकि पानी को रोका जा सके.
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