मिट्टी के दीये और बर्तनों की मांग बढ़ी, परंपरा को मिलेगी नयी पहचान
मिट्टी के दीये और बर्तनों की मांग बढ़ी, परंपरा को मिलेगी नयी पहचान
बारियातू़ दीपावली और महापर्व छठ नजदीक आते ही प्रखंड के कुम्हार परिवार परंपरागत मिट्टी के दीये और पूजा सामग्री बनाने में जुट गये हैं. मुख्यालय समेत जबरा, टोंटी, बचरा, हिसरी, फुलसू, बालूभांग, बीरबीर सहित अन्य गांवों में प्रजापति परिवार के लोग दिन-रात चाक पर मेहनत कर रहे हैं. वे मिट्टी के दीये, कलश, खिलौने, घड़ा, बोरसी, ढकनी, हांडी और अन्य बर्तन तैयार कर रहे हैं. स्थानीय कुम्हार बिनोद प्रजापति, उमेश्वर प्रजापति, भोला प्रजापति, निर्मल प्रजापति, नरेश प्रजापति, लालधारी प्रजापति, जतन प्रजापति, प्रयाग प्रजापति, तिलक प्रजापति, जितन प्रजापति, राकेश प्रजापति, बिगन प्रजापति, बैजनाथ प्रजापति, सरोनी प्रजापति, सामोद प्रजापति और अमोद प्रजापति ने बताया कि उनका मुख्य पेशा मिट्टी के बर्तन और मूर्ति बनाना है. पिछले एक महीने से वे दशहरा, दीपावली और छठ पूजा में उपयोग होने वाले कलश, ढकनी, तैया और दीये बना रहे हैं. कुम्हारों ने बताया कि इस वर्ष दीयों की मांग पिछले साल से अधिक है और लोग चाइनीज लाइट की जगह मिट्टी के दीये जलाना पसंद कर रहे हैं. उनका कहना है कि पर्वों में मिट्टी के बर्तन और दीये शुद्ध और पवित्र माने जाते हैं. लगातार बारिश के कारण इस वर्ष निर्माण कार्य थोड़ा देर से शुरू हुआ, लेकिन वे दिन-रात मेहनत कर तैयारियों को पूरा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यदि सरकारी स्तर पर उनके बने सामान की बिक्री की व्यवस्था हो, तो वे पूरे वर्ष मिट्टी के बर्तन और अन्य सामग्री का उत्पादन कर सकते हैं.
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