World Tribal Day 2025: राजपथ पर आदिवासी नृत्य के वर्ल्ड रिकॉर्ड का हिस्सा बने झारखंड के सुखराम पाहन

World Tribal Day 2025: सुखराम ने बिरसा कॉलेज खूंटी से बॉटनी में स्नातक किया है. लेकिन उनका मन अपनी कला-संस्कृति में ही रमा रहा. डॉ रामदयाल मुंडा को अपना आदर्श मानने वाले सुखराम ने औपचारिक रूप से किसी गुरु से नृत्य की शिक्षा नहीं ली. वह गांव के अखड़ा में ही थिरकते हुए बड़े हुए.

By Mithilesh Jha | August 6, 2025 7:16 PM

World Tribal Day 2025| रांची, प्रवीण मुंडा : सुखराम पाहन के लिए मुंडारी लोकनृत्य ही साधना है. सुखराम पाहन मुंडारी लोक नर्तक और संस्कृति कर्मी हैं. बीते 23 साल से वह मुंडारी नृत्य कला के संरक्षण और संवर्द्धन में जुटे हुए हैं. उन्हें मुंडारी नृत्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए 22 नवंबर 2024 को संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार और संगीत नाटक अकादमी नयी दिल्ली द्वारा उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा सम्मान से नवाजा गया था.

राजपथ पर बने वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल थे सुखराम

इसी वर्ष वह गणतंत्र दिवस की परेड में नयी दिल्ली के राजपथ में एक विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले समूह का हिस्सा बने थे. इसमें इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक आदिवासी लोक नृत्य के 8,000 कलाकारों ने हिस्सा लिया था. इसमें नॉर्थ ईस्ट, झारखंड और ओडिशा से लेकर दक्षिण के राज्यों के आदिवासी लोक नर्तक शामिल थे. इन सबको अपनी-अपनी कला का प्रदर्शन करना था. सुखराम पाहन ने झारखंड से गये 200 कलाकारों के दल का नेतृत्व किया था.

धरती आबा के सेनापति गया मुंडा के गांव से है नाता

सुखराम पाहन खूंटी जिले के कुद्दा गांव के निवासी हैं. यह गांव धरती आबा बिरसा मुंडा के सेनापति गया मुंडा की भी जन्मस्थली है, जो मुरहू प्रखंड में पड़ता है. सुखराम ने बिरसा कॉलेज खूंटी से बॉटनी में स्नातक किया है. लेकिन उनका मन अपनी कला-संस्कृति में ही रमा रहा. डॉ रामदयाल मुंडा को अपना आदर्श मानने वाले सुखराम ने औपचारिक रूप से किसी गुरु से नृत्य की शिक्षा नहीं ली. वह गांव के अखड़ा में ही थिरकते हुए बड़े हुए.

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मुंडारी गीत-संगीत की धुन पर है पकड़

सुखराम मुंडारी गीत-संगीत की विभिन्न राग-रागिनी और धुन को पहचानते हैं. इसी के अनुरूप अपनी नृत्य की शैलियों को मांजा है. अब वह ग्रामीणों की नयी पीढ़ी को नृत्य का प्रशिक्षण दे रहे हैं. इसके लिए उन्होंने संगठन भी बनाया है, जिसका नाम है सोसाइटी फॉर ट्राइबल इनहांसमेंट एंड पीपुल्स सर्विस (स्टेप्स). इस समूह में अभी 800 लोग जुड़े हैं. सुखराम से प्रशिक्षण लेने के लिए झारखंड के विभिन्न जिलों के अलावा पश्चिम बंगाल और ओडिशा से भी लोग आते हैं. इतना ही नहीं, वह आदिवासी समुदाय से जुड़े मुद्दों को लेकर भी सक्रिय रहते हैं. बीते एक और दो अगस्त को रांची में आदिवासी नीति को लेकर हुई बैठक में भी शामिल हुए और अपना सुझाव दिया.

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