उचित मुआवजा व पुनर्वास नहीं, तो नहीं देंगे जमीन

ग्राम लुकोइया में मंगलवार को रूढ़ीगत संयुक्त ग्राम की बैठक रामजीत उरांव की अध्यक्षता में हुई.

By DINESH PANDEY | October 14, 2025 8:19 PM

खलारी. ग्राम लुकोइया में मंगलवार को रूढ़ीगत संयुक्त ग्राम की बैठक रामजीत उरांव की अध्यक्षता में हुई. इसमें हेंजदा, कुटकी, डेंबुआ सहित खनन प्रभावित एवं प्रस्तावित विस्थापन क्षेत्र के रैयत विशेष रूप से शामिल हुए. बैठक में खनन क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं और विस्थापितों की दशा पर विस्तृत चर्चा हुई. वक्ताओं ने बताया कि वर्ष 1990 में सरकार ने सीबी एक्ट 1957 एवं एलए एक्ट 1894 के तहत भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर सीसीएल को जमीन दी थी. इसके बाद उत्तरी कर्णपुरा, पिपरवार और मगध-अम्रपाली क्षेत्रों में खनन शुरू किया गया. विस्थापित रैयतों ने बताया कि 1972 में राष्ट्रीयकरण के बाद से लेकर अब तक यानी 53 वर्षों में उन्हें उचित पुनर्वास, मुआवजा और रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पायी हैं. आज भी रैयतों को सीसीएल के दफ्तरों का चक्कर लगाना पड़ रहा है. वक्ताओं ने कहा कि कंपनी खनन से पहले वादे तो करती है, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं दिखता. विस्थापित गांव जैसे मानकी बस्ती, मुंडा टोली, डकरा, बड़ी सिमर, रोहनियाटांड़, विश्रामपुर, तुमांग बस्ती, पेट पेट, मांगरदहा, मालमहुरन, ठेना और विजन आदि का हाल आज भी बदत्तर है. यहां न तो विकास के कार्य हुए हैं और न ही किसी तरह की सुविधा उपलब्ध है. बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जब तक सरकार और सीसीएल उचित मुआवजा, पुनर्वास, खनन पश्चात भूमि वापसी, रसीद कटाई एवं रोजगार संबंधी वादों को धरातल पर लागू नहीं करती, तब तक रैयत परियोजना विस्तारीकरण के लिए जमीन नहीं देंगे. रैयतों ने आंदोलन की रूपरेखा भी तय करते हुए निर्णय लिया कि 29 अक्टूबर को उत्तरी कर्णपुरा क्षेत्र के डकरा महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष, 31 अक्टूबर को पिपरवार महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष तथा 4 नवंबर को अंचल कार्यालय टंडवा में सुबह 10 बजे से एक दिवसीय धरना दिया जाएगा. इसके साथ ही अंचल कार्यालय खलारी में भी धरना देने की योजना बनायी गयी. संचालन सहदेव उरांव ने किया. बैठक में विभिन्न ग्रामों के बड़ी संख्या में महिला-पुरुष उपस्थित थे.

खनन प्रभावित गांवों की संयुक्त बैठक, विस्थापित रैयतों ने जताया आक्रोश

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