झारखंड पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने वाले हेठजोरी गांव के ग्रामीणों ने आखिरकार की वोटिंग, दी ये चेतावनी

Jharkhand Panchayat Chunav 2022: झारखंड पंचायत चुनाव में मतदान को लेकर गुमला के ग्रामीणों ने कहा कि गांव की तरक्की के लिए हमलोगों ने वोट दिया. इसके बाद भी गांव का विकास नहीं हुआ तो नेता व अधिकारी को गांव में घुसने नहीं देंगे. गांव में बेरिकेडिंग लगायी जायेगी. गांव की महिलाएं वोट देने में आगे रहीं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 20, 2022 2:36 PM

Jharkhand Panchayat Chunav 2022: झारखंड पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने वाले हेठजोरी के ग्रामीण आखिरकार वोटर करने के लिए राजी हो गये और वोट किया. गुमला से 28 किमी दूर कतरी पंचायत के हेठजोरी गांव के लोगों ने चार दिन पहले वोट का बहिष्कार किया था. गांव का विकास नहीं होने व प्रशासन द्वारा बूथ की दूरी बढ़ाने को लेकर ग्रामीण आक्रोशित थे. गुरुवार को वोटिंग के दिन ग्रामीणों का मन बदल गया. गांव में बैठक की और गांव के विकास के लिए वोट देने का निर्णय लिया. हेठजोरी गांव के पहाड़ से उतरकर ग्रामीण दो किमी पैदल चले और पतगच्छा स्कूल के बूथ पर पहुंचकर वोट किया.

गांव की तरक्की के लिए किया वोट

ग्रामीणों ने कहा कि गांव की तरक्की के लिए हमलोगों ने वोट दिया. इसके बाद भी गांव का विकास नहीं हुआ तो नेता व अधिकारी को गांव में घुसने नहीं देंगे. गांव में बेरिकेडिंग लगायी जायेगी. इधर, गांव की महिलाएं वोट देने में आगे रहीं. धूप से बचने के लिए सिर में गमछा लेकर पैदल बूथ तक पहुंची. दिन के 10 बजे तक हेठजोरी गांव से एक भी वोट नहीं पड़ा था, परंतु धीरे-धीरे वोटर पहुंचने लगे. दिन के 12.30 बजे तक 165 वोटरों ने वोट डाला, जबकि हेठजोरी में 393 वोटर हैं. पतगच्छा स्कूल में हेठजोरी गांव का बूथ नंबर पांच बनाया गया था. जहां अचानक वोटरों की भीड़ लग गयी. 20-20 वोटर को एक कतार में खड़ा कर वोट दिलाया गया.

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बूथ पहुंचने में वृद्धों को बड़ी हुई परेशानी

महिलाओं ने कहा कि बड़ी कष्ट सह कर बूथ तक पहुंचे हैं. गांव का पहाड़ी रास्ता इतना खराब है कि चलना मुश्किल है. गांव के वृद्धों को हाथ पकड़कर पहाड़ से उतारा गया. कुछ वृद्ध कुछ दूरी तक पैदल चलकर थक गये तो वे आधा रास्ता में बैठ गये. बैठ कर आराम करने के बाद पुन: पैदल चलकर बूथ तक पहुंचे और वोट दिये.

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पर्ची में बूथ का स्थान हेठजोरी लिखा है

हेठजोरी व आसपास का इलाका नक्सल प्रभावित है. इस क्षेत्र में भाकपा माओवादी का प्रभाव है. इसलिए प्रशासन ने अचानक हेठजोरी गांव के बूथ को बदल दिया, जबकि गांव के वोटरों को जो पर्ची दिया गया है. उसमें बूथ नंबर-5 का स्थान हेठजोरी गांव लिखा हुआ है यानी बूथ हेठजोरी गांव में बनाना था, परंतु नक्सल इलाका होने के कारण प्रशासन ने हेठजोरी के बूथ को पतगच्छा गांव में बना दिया.

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पीठासीन पदाधिकारी की सुनिये

हेठजोरी बूथ नंबर-पांच के पीठासीन पदाधिकारी अमृत तिर्की ने कहा कि बूथ नंबर पांच पतगच्छा स्कूल में बनाया गया था. दिन के 10 बजे तक एक भी वोटर नहीं आये था. हमलोग वोटर का आने का इंतजार करते रहे. दिन के 10 बजे से वोटर आना शुरू हुए. दिन के 11.32 बजे तक 110 वोट पड़ा. इसके बाद दिन के 12.30 बजे तक 165 वोट पड़ा था. वोट शांतिपूर्ण पड़ा. वोटर अनुशासित होकर कतार में खड़े होकर वोट दिये.

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ग्रामीणों का ये है दर्द

ग्रामीण सुको देवी कहती हैं कि गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र बना है, परंतु यह बेकार पड़ा है. छह माह से कोई नर्स ड्यूटी करने नहीं आ रही है. अस्पताल में पशुओं को बांधा जाता है. ग्रामीण अंगनी देवी ने कहा कि हेठजोरी गांव जाने के लिए माड़ापानी व पतगच्छा से होकर रास्ता है, लेकिन दोनों तरफ रास्ता खतरनाक है. पहाड़ी रास्ता संकट से भरा है. रास्ता बनवा दें. ग्रामीण अघनू गोप ने कहा कि गांव में सिंचाई का कोई साधन नहीं है. हम ग्रामीण बरसात में सिर्फ धान की खेती करते हैं. अन्य दिन मजदूरी करते हैं. गांव के लोग पलायन भी कर रहे हैं. ग्रामीण जोगी उरांव ने कहा कि सरकार सड़क, स्वास्थ्य, सिंचाई व बेरोजगारी की समस्या को दूर कर दें. हम खुशहाल जिंदगी जीयेंगे. अगर समस्या दूर नहीं हुई तो बड़ा निर्णय लेंगे.

पतगच्छा से लौटकर दुर्जय पासवान

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